रविवार, 22 जनवरी 2012

मेरा दर्द....,


आप सभी मित्रों के लिए पेश है नए साल(2012) का मेरा पहला पोस्ट
जिसमें तो दो अलग-अलग लाइने हैं पर दोनों कविता का अर्थ और दर्द एक ही है,


(१)
मुझे उदास देख कर उसने कहा ;
मेरे होते हुए तुम्हें कोई 
दुःख नहीं दे सकता,


"फिर ऐसा ही हुआ"
ज़िन्दगी में जितने भी दुःख मिले, 
सब उसी ने दिए.....
(२)
वो अक्सर हमसे एक वादा करते हैं कि;
"आपको तो हम अपना बना कर 
ही छोड़ेंगे"
और फिर एक दिन उन्होंने अपना
वादा पूरा कर दिया,


"हमें अपना बनाकर छोड़ दिया..."


नीलकमल वैष्णव"अनिश"

2 टिप्‍पणियां:

avanti singh ने कहा…

waah! kya baat hai ....kam panktiyon me adhik baat...acha lga aap ka andaaz....pahli baar blog par aana hua.ummid hai aap ki post fir bulaayengi

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत खूब .... मन के भाव शब्दों बन के उतर आए हैं इस रचना में ..