शुक्रवार, 20 मई 2011

कभी भी हो सकता है भारत-पाक युद्ध

इस्लामाबाद। भारत और पाकिस्तान की सैन्य सरगर्मियों को देखकर ऐसा लगता है कि दोनों देश युद्ध की तैयारी में जुटे हैं। दोनों देशों के नेताओं और सैन्न अधिकारियों के बयान भी युद्ध भड़काने वाले हैं। आईएसआई चीफ शुजा पाशा के भारत पर हमले की तैयारियों की धमकी के एक दिन बाद सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों से बैठक की। लादेन की मौत के बाद गिलानी ने पहली बार सेना प्रमुखों के साथ बैठक की। इसमें भारत के साथ युद्ध होने पर हमले और बचाव के मुद्दे पर तमाम बातें हुईं। इधर, भारत ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी है। पाकिस्तान सीमा के पास उत्तरी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में भारत ने थलसेना और वायुसेना के तालमेल से एक वृहद अभ्यास किया है। कहने को यह थलसेना का नियमित सालाना अभ्यास है, लेकिन मौजूदा माहौल में इस सैन्य अभ्यास का विशेष रणनीतिक महत्व है। इतना ही नहीं कई कट्टरपंथी संगठन भी भारत के खिलाफ युद्ध या कहें आतंकी दहशत फैलाने की तैयारी कर रहे हैं। सोमवार को ही जमात-उद-दावा ने भी रैली की। जमात के प्रमुख और मुंबई में हुए 26/11 हमले का मुख्य आरोपी हाफिज सईद ने एक बड़ी रैली कर भारत के खिलाफ जहर उगला। हाफिज सईद ने कहा कि भारत या अमेरिका ने फिर ऐबटाबाद जैसी कार्रवाई की, तो इन देशों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया जाएगा। लादेन की मौत के बाद लगता है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान युद्ध की तैयारी कर रहा है। लादेन की मौत के बाद पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुख के साथ बैठक की। सुत्रों के मुताबिक, बैठक में सबसे ज्यादा आईएसआई चीफ शुजा पाशा के बयान पर चर्चा की गई। पाशा ने रविवार को कहा था कि भारत के खिलाफ हमले की तैयारी पूरी है और सारी योजना बना ली गई है। हालांकि, सोमवार की शाम ही भारत ने पाशा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। भारत सरकार ने पाशा के इस बयान पर हैरत जताई। हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ के सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने पूछा कि आखिर शुजा पाशा ऐसा बयान देने वाले होते कौन हैं। गौरतलब है कि भारत के सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह ने हाल ही में कहा था कि भारत भी सीमा पार मौजूद आतंकवादियों की पनाहगाहों को नेस्तनाबूद करने के लिए अमेरिका सरीखे ऑपरेशन करने की क्षमता रखता है। क्यों इतना आक्रमक हो गया है पाकिस्तान अल कायदा सरगना लादेन के खिलाफ की गई अमेरिकी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान घबरा गया है। इसका कारण है कि उसे यह डर सता रहा है कि भारत भी इस तरह की कार्रवाई कर सकता है। गौरतलब है कि भारत में कत्लेआम मचाने वाले कई आतंकी अब भी पाकिस्तानी सरजमीं पर मौजूद हैं। इसीकरण पाकिस्तान गिदड़ भभकी देकर भारत को इस तरह के कार्रवाई करने से रोक रहा है। कहीं पिद्दी पाकिस्तान के पीछे अमेरिका तो नहीं पाकिस्तान अपनी ताकत जानता है। फिर भी लगातार भारत को धमकी दे रहा है। कहीं इसके पीछे अमेरिका तो नहीं? विदेश मामलों के कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हो सकता है लादेन की सूचना देने में पाकिस्तान का भी हाथ हो। वह कार्रवाई में भाग नहीं लिया हो, लेकिन लादेन को मरवाने में उसका हाथ जरूर रहा होगा। ऐसा संभव है कि लादेन के बदले पाकिस्तान ने अमेरिका से गुप्त समझौता कर लिया हो और कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी मिल गया हो। मौका परस्त पाकिस्तान ऐसा कर भी सकता है। अब लादेन पाकिस्तान के लिए किसी काम का नहीं रह गया था। वह उसे अमेरिका को सौंप कर कश्मीर मामले पर अमेरिकी सहयोग हासिल कर लिया हो। इन सब परिस्थितियों में भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।

रविवार, 15 मई 2011

अमेरिका का दोगलापन,कहा 9/11 और 26/11 में कोई तुलना नहीं

9/11 and 26/11 attackओसामा बिन लादेन के मौत के बाद कई राज बेपर्दे हो गये। पाकिस्‍तान द्वारा आतंकवा‍दियों को शरण देने बात सामने आ गई तो अमेरिका ने यह साबित कर दिया कि वह अपने दुश्‍मनों से बदला लेने में कभी पीछे नहीं हटता। मगर इन सब बातों के बाद भी एक बात और समाने आ गई है और वह है अमेरिका का दोगलापन और दोहरा चरित्र। अमेरिका ने पाकिस्‍तान के अंदर घुसकर इकतरफा और मनमर्जी कार्रवाई करते हुए 9/11 को अपने देश पर हुए हमले का बदला ले लिया। अगर ऐसी ही कार्रवाई 26/11 के दोषियों के लिये भारत करता है तो अमेरिका उसका साथ नहीं देगा।
यह बात सिर्फ दिमागी उपज नहीं है बल्कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने खुद स्‍वीकार किया है। उनसे पूछा गया कि क्या भारत या दूसरे देश ऐसी कोई कार्रवाई करें तो अमेरिका उनका समर्थन करेगा ? विदेश मंत्रालय प्रवक्ता मार्क टोन ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। इस प्रकार के सवालों के मद्देनजर ही अमेरिका अपने देश पर हुए 9/11 हमले और मुंबई पर हुए 26/11 हमले के बीच कोई भी समानता बताने से बच रहा है।

सोमवार, 9 मई 2011

एफबीआई की नई सूची के मुताबिक ये हैं दुनिया के बड़े आतंकवादी

एडम
याहिए गदाहन:
उम्र 32 साल, ओरेगन में जन्‍मा और कैलिफोर्निया में पला-बढ़ा। 17
साल की उम्र में इस्‍लाम धर्म कबूल किया। गदाहन पर देशद्रोह और अल कायदा के नेटवर्क
को साजो सामान मुहैया कराने के आरोप। अल कायदा के लिए कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम
देने के आरोप। गिरफ्तारी पर 10 लाख डॉलर का ईनाम।

डेनियल एंड्रियस सैन
डिएगो:
उम्र 33 साल, अमेरिकी नागरिक और कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क संचालित करने में
माहिर। सैन डिएगो पर 2003 में सैन फ्रांसिस्‍को में दो इमारतों में बम धमाके का
आरोप। एफबीआई के मुताबिक डिएगो ने जानवरों के अधिकार के लिए लड़ रहे अतिवादी
संगठनों से जुड़ाव। गिरफ्तारी पर ढाई लाख डॉलर का ईनाम।

अयमान अल
जवाहिरी
:
उम्र 59 साल। मिस्र मूल के नागरिक अल जवाहिरी पर तंजानिया और के‍न्‍या
में अमेरिकी दूतावासों में 7 अगस्‍त 1998 को हुए बम धमाकों की साजिश का आरोप है।
पेशे से डॉक्‍टर अल जवाहिरी इजीप्टियन इस्‍लामिक जिहाद का संस्‍थापक है और अब यह अल
कायदा से जुड़ा है। अल जवाहिरी को अल कायदा का ऑपरेशनल कमांडर माना जाता है और अब
बिन लादेन की मौत के बाद इसे ही अल कायदा का सर्वेसर्वा माना जा रहा है। अमेरिकी
सरकार ने इसकी गिरफ्तारी पर ढाई करोड़ डॉलर का ईनाम रखा है।

फहद मोहम्‍मद
अहमद अल कुसो:
उम्र 36 साल, यमन का ना‍गरिक अल कुसो 12 अक्‍टूबर 2000 को अदन
में अमेरिकी नौसेना के पोत यूएसएस कोल पर विस्‍फोट मामले का आरोपी है जिसमें 17
अमेरिकी नाविकों की मौत हो गई थी। इसकी गिरफ्तारी पर 50 लाख डॉलर का ईनाम
है।

जमीन अहमद मोहम्‍मद अली अल बदावी: उम्र-50 के करीब, अल बदावी पर
भी 12 अक्‍टूबर 2000 को अमेरिकी पोत पर हुए धमाकों का आरोप है। अल बदावी को यमन के
अधिकारियों ने उस वक्‍त पकड़ लिया था जब वह अप्रैल 2003 से जेल से भाग रहा था। उसे
मार्च 2004 में फिर से पकड़ा गया लेकिन 3 फरवरी 2006 को फिर से भाग निकला। उसकी
गिरफ्तारी पर 50 लाख डॉलर का ईनाम है।

मोहम्‍मद अली हमीदी: उम्र 46 साल, हिजबुल्‍ला का सदस्‍य। विमान अपहरण और
अमेरिकी नौसैनिक की हत्‍या के आरोप। ईनाम 50 लाख डॉलर।

अली अतवा: उम्र 50 साल, यह भी हिजबुल्‍ला से जुड़ा। अली अतवा पर भी हमीदी
जैसे आरोप। ईनाम 50 लाख डॉलर।

हसन इज्‍ज-अल-दीन: उम्र 47 साल, हसन भी हिजबुल्‍ला का सदस्‍य और इस पर भी
हमीदी और अल अतवा के साथ आरोपी। ईनाम 50 लाख डॉलर।

अब्‍दुल्‍ला अहमद अब्‍दुल्‍ला: उम्र 47 साल, मिस्र मूल के अब्‍दुल्‍ला पर
तंजानिया और केन्‍या में अमेरिकी दूतावासों पर हुए बम धमाके के आरोप। ईनाम 50 लाख
डॉलर।


रविवार, 8 मई 2011

लादेन को दफनाने की जगह का नाम किया 'शहीद' सागर

ओसामा बिन लादेन को उत्तरी अरब सागर में जिस स्थान पर दफनाया गया है, उसे कट्टरपंथियों ने ‘शहीद सागर’ नाम दे दिया है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मुस्लिम धर्मगुरु अब्दल हकीम मुराद ने कहा कि अमेरिका की सुपुर्द-ए-आब (समुद्र में दफनाने) की नीति से वह खुद ही विवादों में फंस गया है।

रेडियो 4 के एक कार्यक्रम में मुराद ने कहा कि स्मारक बनने से बचाने के लिए लादेन को समुद्र में दफनाया गया, लेकिन अब कट्टरपंथियों ने उसे ही शहीद सागर नाम दे दिया है। अमेरिका उन्हें नहीं रोक सकता। दूसरी ओर, जमात-ए-इस्लामी से जुड़े वकीलों ने गुरुवार को पेशावर उच्च न्यायालय में अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के लिए ‘नमाज-ए-जनाजा’ पढ़ा।

‘इस्लामिक लॉयर्स मूवमेंट’ ने उच्च न्यायालय की लॉन में गुलाम नबी की अगुवाई में ‘गायबाना नमाज-ए-जनाजा’ पढ़ा। जमात-ए-इस्लामी से जुड़े करीब 120 वकीलों ने इसमें भाग लिया। इस दौरान वकीलों ने ‘अमेरिका के लिए मौत’ और ‘ओसामा जिंदाबाद’ जैसे नारे भी लगाए। नमाज-ए-जनाजा के बाद लादेन के लिए फातेहा भी पढ़ा गया।


शनिवार, 7 मई 2011

घाटी में लादेन के लिए हुई जुम्मे की नमाज

घाटी में लादेन के लिए हुई जुम्मे की नमाज


श्रीनगर । घाटी के अलगाववादियों ने मारे गए आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन के प्रति अपनी मंशा साफ कर दी है। शांति की वकालत करने वाले हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी ने जुम्मे की नमाज के दिन लादेन के विचारों का खुलकर समर्थन किया।


बाकायदा, हुर्रियत नेता ने बाटमालू स्थित श्राइन में लोगों के साथ लादेन की आत्मा

की शांति के लिए दुआ भी मांगी। उधर, घाटी के दूसरे जिलों में भी ऐसी प्रार्थनाएं सभाएं दर्ज हुई हैं।

इस मौके पर हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी ने कहा कि अमेरिका ने ओसामा

बिन लादेन के शव को समुद्र में दफना कर मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं से

खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की इस कार्रवाई से विश्वभर के मुसलिम

समुदाय में गहरी निराशा है।

मंगलवार, 3 मई 2011

जवान बीवी के साथ शानोशौकत से रह रहा था लादेन

दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियां चला रहे ओसामा बिन लादेन के बारे में समझा जाता था कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के दुर्गम पहाडी़ इलाकों में छिप कर अपनी कार्रवाईयों को अंजाम दे रहा है। लेकिन वह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के निकट एबटाबाद में पिछले कई सालों से जवान और खूबसूरत बीवी के साथ शाही शानोशौकत के साथ एक बडी़ हवेली में रह रहा था।

ओसामा जिस शानदार हवेली में रह रहा था वह तीन मंजिल की थी और उसकी सुरक्षा के कडे प्रबंध भी किए गए थे। पाकिस्तान के शासन तंत्र की नाक के ठीक नीचे बनी ओसामा की यह हवेली इस्लामाबाद से उत्तर में केवल साठ किलोमीटर की दूरी पर बनी थी। इस इलाके में पाकिस्तान के रसूखदार लोग रहते हैं इनमें से अधिकतर लोग सेना के रिटायर अफसर हैं।

ओसामा की यह हवेली अपने आसपास के मकानों से करीब आठ गुणी ज्यादा बडी़ है और कहीं ज्यादा बडे़ प्लाट पर बनी थी। वर्ष 2005 में जब इस शाही महलनुमा हवेली को बनाया गया था तो उस वक्त इसके आसपास कोई और मकान नहीं था लेकिन पिछले छह सालों में इसके आसपास कई और मकान बन गए। इसके चारों तरफ 12 से 18 फीट ऊंची दीवार खडी़ की गई थी और फिर उसके ऊपर तारों की बाड़ लगा दी गई थी।

इस हवेली में खिड़कियां बेहद कम थीं जिसका मकसद यह था कि वहां रहने वालों का बाहरी दुनिया से संपर्क कम से कम रहे और अडोस-पडोस वालों को यहां रहने वालों को बारे में भनक भी न लगे। इस इमारत में लादेन के अतिविश्वास पात्र लोग ही आ जा सकते थे।

दस लाख डॉलर मूल्य वाली और दो बडे़ दरवाजों की इस इमारत में सुरक्षा के इंतजाम इतने कडे़ थे कि वहां इकठ्ठा होने वाला कूडा़ तक बाहर नहीं जाता था और उसे हवेली के भीतर ही जला दिया जाता था। इसका मकसद यह था कि इमारत से एक सुई तक भी बाहर नहीं जाने दी जाए और किसी भी प्रकार का कोई सुबूत फिजां तक में न पहुंचे। इस इमारत में कोई फोन कनेक्शन या इंटरनेट कनेक्शन तक नहीं पाया गया।


जवाहिरी संभाल सकता है अलकायदा की कमान

जवाहिरी संभाल सकता है अलकायदा की कमान


आतंकवादी संगठन अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी हमले में मारे जाने के बाद अब अलकायदा के नंबर दो सरगना अयमान अल जवाहिरी के संगठन की कमान संभालने के कयास लगाए जा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन के मारे जाने की तो घोषणा कर दी है, लेकिन जवाहिरी की स्थिति को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। जवाहिरी और लादेन 2001 में अफगानिस्तान पर हुए अमेरिकी हमले के बाद वहां से ही छिपते फिर रहे थे।

लादेन की तरह जवाहिरी के भी पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमांत पहाडी़ इलाके में छिपे होने के कयास लगाए जाते रहे हैं। ये दोनों आखिरी बार वर्ष 2003 में 'अल जजीरा' टेलीवीजन चैनल द्वारा प्रसारित किए गए अलकायदा की एक वीडियो फुटेज में साथ-साथ दिखे थे।

पेशे से डॉक्टर जवाहिरी का जन्म मिस्र की राजधानी काहिरा के एक उच्च वर्गीय परिवार में 1951 में हुआ था। जवाहिरी ने 1974 में शल्य चिकित्सा में अपनी डिग्री पूरी की और उसके बाद इस्लामिक राजनीतिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया। यह संगठन अरब जगत के बहुत से देशों में सक्रिय है और लोकतांत्रिक तरीकों एवं अहिंसा में विश्वास रखता है।

लेकिन जवाहिरी अधिक दिनों तक नहीं टिका यहां संगठन के अहिंसक तौर तरीके उसे रास नहीं आए और वह मिस्र के 'इस्लामिक जेहाद' संगठन में भी सक्रिय हो गया। इसी संगठन के सदस्यों ने मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सदात की हत्या की थी और उस मामले में गिरफ्तार किए गए 301 लोगों में जवाहिरी का भी नाम था।

पाकिस्तान के पेशावर शहर में 80 के दशक में जवाहिरी की मुलाकात लादेन से उस वक्त हुई जब सोवियत सेना अफगानिस्तान में इस्लामी मुजाहिद्दीन लडा़कों के सफाए में जुटी हुई थी। जवाहिरी इसके बाद लादेन के विचारों से इतना प्रभावित हुआ कि दोनों इसके बाद दुनिया पर इस्लामी राज कायम करने के मकसद से साथ हो गए।

जवाहिरी समय-समय पर अलकायदा की तरफ से वीडियो टेप जारी करता रहता है। इन वीडियो संदेशों में अक्सर उसके निशाने पर अमेरिका रहा है और उसने अमेरिका समेत सभी पश्चिमी मुल्कों में हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों की इन संदेशों में तारीफों के पुल बांधे हैं।

ओबामा के अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाने के बाद जवाहिरी ने 2008 में एक टेप जारी करके ओबामा को 'गोरे आकाओं का पिट्ठू'-'हाउस नीग्रो' कहा था इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर उन अश्वेत अमेरिकी गुलामों के लिए किया जाता था जो गोरों के प्रति वफादार होते थे। इसके एक वर्ष बाद 2009 में जारी एक अन्य टेप में जवाहिरी ने कहा था कि ओबामा और जार्ज डब्ल्यू बुश में कोई खास अंतर नही है।

सोमवार, 2 मई 2011

मारा गया ओसामा बिन लादेन


10मार्च 1957 को रियाध, सउदी अरब में एक धनी परिवार में जन्मे ओसामा बिन लादेन, अल कायदा नामक आतंकी संगठन के प्रमुख थे. यह संगठन 9 सितंबर 2001 को अमरीका के न्यूयार्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के साथ विश्व के कई देशों में आतंक फैलाने और आतंकी गतिविधियां संचालित करने का दोषी है.


रविवार डॉट कॉम के अनुसारसऊदी अरब में एक यमन परिवार में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए 1979 में सऊदी अरब छोड़ दिया. अफगानी जेहाद को जहाँ एक ओर अमरीकी डॉलरों की ताक़त हासिल थी वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब और पाकिस्तान की सरकारों का समर्थन था. मध्य पूर्वी मामलों के विश्लेषक हाज़िर तैमूरियन के अनुसार ओसामा बिन लादेन को ट्रेनिंग सीआईए ने ही दी थी.


अफ़ग़ानिस्तान में उन्होंने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया.

अमरीकी सैनिकों द्वारा पाकिस्तान में उनके मारे जाने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को याद करते हुये कहा कि जैसा बुश ने कहा था हमारी जंग इस्लाम के खिलाफ नहीं है. लादेन को पाकिस्तान में इस्लामाबाद के एक कंपाउंड में मारा गया. एक हफ्ते पहले हमारे पास लादेन के बारे में पुख्ता जानकारियां मिल गई थीं. उसने बाद ही कंपाउंड को घेरकर एक छोटे ऑपरेशन में लादेन को मार गिराया गया.

बराक ओबामा ने कहा कि लादेन ने पाक के खिलाफ भी जंग छेड़ी थी. हमारे अधिकारियों ने वहां के अधिकारियों से बात कि और वह भी इसे एक ऐतिहासिक दिन मान रहे हैं. यह 10 साल की शहादत की उपलबधि है. हमने कभी भी सुरक्षा से समझौता नहीं किया. अल कायदा से पीड़ित लोगों से मैं कहूंगा कि न्याय मिल चुका है.

9/11 के हादसे को याद करते हुये बराक ओबामा ने कहा कि इस घटना में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, हम उनके नुकसान को नहीं भूले हैं. आज रात एक बार फिर एकजुट हो जाएं. अमरीका जो ठान ले वह कर सकता है. पैसे और ताकत से नहीं बल्कि एकजुटता ही हमारी शक्ति है.

DNA टेस्ट से हुई लादेन के शव की पुष्टि

पाकिस्तान में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अभियान में मारे गए अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के पहचान की विधिवत पुष्टि के लिए अमेरिका ने उसका डीएनए परीक्षण कराया है।

अमेरिकी अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि मारे गए व्यक्ति के लादेन ही होने की पुष्टि के लिए डीएनए नमूने लिए गए हैं, लेकिन इसके नतीजे के लिए अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा। इसके अलावा लादेन के बारे में किसी भी तरह के शक के खात्मे के लिए चेहरे का मिलान करने वाली अत्याधुनिक फेशियल रिकाग्निशन तकनीक का भी सहारा लिया गया है।

पाकिस्तान ने एबटाबाद के अभियान से पल्ला झाडा़

पाकिस्तान सोमवार को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए विशेष अमेरिकी बलों के अभियान से पल्ला झाड़ता दिखा। प्रशासन ने यह कहते हुए इससे खुद को अलग कर लिया कि एबटाबाद का अभियान अमेरिकी खुफिया विभाग द्वारा संचालित अभियान था।

लेकिन एक सरकारी बयान में कहा गया है कि लादेन की मौत दुनियाभर में आतंकवादी संगठनों के लिए एक बड़ा सदमा है। विदेश विभाग की प्रवक्ता तहमीना जांजुआ ने कहा कि खुफिया बलों द्वारा संचालित अभियान में लादेन सोमवार तड़के एबटाबाद में मारा गया।

उन्होंने कहा कि यह अभियान अमेरिकी बलों द्वारा अमेरिका की घोषित नीति के अनुसार चलाया गया जो कहती है कि दुनिया में जहां कहीं भी वह पाया गया, अमेरिकी बल उसे सीधी कार्रवाई में मार गिराएंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा लादेन के मारे जाने की अपने टेलीविजन संबोधन में घोषणा किए जाने के कुछ घंटे बाद जांजुआ ने कहा कि अलकायदा प्रमुख की मौत आतंकवाद के खात्मे के प्रति पाकिस्तान सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह दुनियाभर में आतंकवादी संगठनों को एक करारा झटका है।

जांजुआ ने कहा कि यह पाकिस्तान की घोषित नीति है कि वह किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं करने देगा। पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व, संसद, सरकारी प्रतिष्ठान तथा पूरा राष्ट्र आतंकवाद को समाप्त करने की अपने संकल्प के लिए प्रतिबद्ध है।

जांजुआ ने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अमेरिकी सफल अभियान के बारे में फोन कर जानकारी दी जिसकी परिणति लादेन की मौत के रूप में हुई। प्रवक्ता ने इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अमेरिका समेत कई खुफिया एजेंसियों के साथ बेहद प्रभावी खुफिया सूचना साझेदारी प्रबंधन रहा है और वह आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को समर्थन देना जारी रखेगा।

जांजुआ ने कहा कि अल कायदा ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था। अलकायदा समर्थित सैंकड़ों आतंकवादी हमलों के करण हजारों निर्दोष पाकिस्तानी पुरुष, महिलाएं और बच्चे मारे गए। पिछले कई सालों में आतंकवादी हमलों में करीब 30 हजार पाकिस्तानी नागरिक मारे जा चुके हैं।

अल कायदा तथा अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ अभियान में पांच हजार से अधिक

पाकिस्तानी सुरक्षा तथा सशस्त्र बलों के अधिकारी मारे गए हैं।

ओसामा की दो बीवियां तथा चार बच्चे हिरासत में
हालांकि अभी यह नहीं पता चला है कि वे इस समय किसकी हिरासत में हैं। अमेरिकी नौसेना के अभियान की परिणति सोमवार को पाकिस्तान के एबटाबाद में लादेन, उसके एक बेटे, दो संदिग्ध संदेश वाहकों तथा एक महिला के मारे जाने के रूप में हुई, जिन्हें वह शील्ड के रूप में इस्तेमाल करता था।

अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी अभियान में मारे जाने के बाद उसकी दो पत्नियोंतथा चार बच्चों को हिरासत में ले लिया गया है।

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स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि दो महिलाओं तथा चार बच्चों को परिसर से बाहर ले जाया गया है। उन्हें लादेन की पत्नी तथा बच्चे बताया जा रहा है।

3.

कैसे हुआ ओसामा के छिपे होने का शक

अल कायदा सरगना तथा अमेरिका में 9/11 आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में मारा गया। वह पाकिस्तान के एबोटाबाद की एक हवेली में पिछले 5 साल से रह रहा था।

पिछले पांच साल में पाकिस्तान तथा अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसके पीछे ओसामा का शातिर दिमाग ही था। उसने अपनी इस हवेली में न तो टेलीफोन कनेक्शन लिया था, और न ही इंटरनेट तथा कोई अन्य इलेक्ट्रोनिक साजो-समान। यहां तक कि इस बड़ी हवेली में बिजली का कनेक्शन भी नहीं था।

वह बाहर की दुनिया से मात्र कूरियर के जरिए संपर्क करता था। इसी के जरिए वह अपने संगठन के अन्य लोगों के साथ संचार का आदान-प्रदान करता था। घर के कचरे को भी फेंका नहीं जाता था, बल्कि घर में ही उसे जला दिया जाता था।

लेकिन ओसामा की इसी चालाकी ने खुफिया एजेंसियों को शक करने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तान के बेहद खूबसूरत जगह एबोटाबाद के पॉश इलाके में रहने के बावजूद हवेली में आधुनिक साजो-समान का न होना ही शक का अहम कारण बना। उसके सूचना पहुंचाने वाले व्यक्ति का पीछा करते हुए ही लादेन तक पहुंचा जा सका। उस सूचना पहुंचाने वाले व्यक्ति की जानकारी 9/11 आतंकी हमले के बाद पकड़े गए एक आतंकवादी ने अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को दी थी।

एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि उस हवेली पर हमारी नजर बहुत पहले से थी और हमें यह यकीन था कि उसमें कोई बड़ा आतंकवादी रह रहा है, लेकिन लादेन के होने की सूचना बाद में जाकर पक्की हो पाई।

यह हवेली 2005 में बनाई गई थी। जिस वक्त यह हवेली बनी थी, उस वक्त यह एक कच्ची सड़क के अंत में पड़ती थी। लेकिन बाद में जाकर पिछले 6 सालों मे इसके आस-पास कई घर बन गए। इस इलाके में पाकिस्तान के रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के काफी मकान हैं।

खुफिया एजेंसियों के मन में कई सवाल उठेः-
- आखिर ऐसे पॉश इलाके में बिना बिजली के कोई हवेली में कैसे रह सकता है?
- हवेली में टेलीफोन तथा इंटरनेट जैसे इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स क्यों नहीं रखा गया है?
- आखिर आधुनिकता से दूर अलग-थलग इस हवेली में कौन रह रहा है?
- कोई घर से बाहर क्यों नहीं निकलता है, यहां तक कि हवेली से कोई कचरा भी नहीं निकाला जाता है?

इन्हीं सब सवालों को ध्यान में रखते हुए, जब खुफिया एजेंसियों ने अपना जाल बिछाया तो उन्हें यह पता लगने में देर नहीं लगी कि इस हवेली में कोई और नहीं बल्कि दुनिया का आतंकवादी नंबर-1 ओसामा बिन लादेन अपने परिवार के साथ रह रहा है।

खुफिया जानकारी की पुष्टि होते ही अधिकारियों ने प्रेसिडेंट ओबामा से कार्रवाई की आज्ञा मांगी और ओबामा ने भी बिना देर लगाए, कार्रवाई को हरी झंडी दे दी। अमेरिकी कमांडो की एक छोटी सी टीम ने कार्रवाई करते हुए उसे गोली मार दी।

इस हमले में ओसामा का बड़ा बेटा भी मारा गया। इसके साथ ही उसकी दो बीवियों तथा 6 बच्चों को गिरफ्तार कर लिया।





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