बुधवार, 9 नवंबर 2011

प्रेम गली अति सांकरी




Pariwar
प्रेम गली अति सांकरी
हमारे यहां प्रेम करना और प्रेम न करना दोनों ही कभी खतरे से खाली नहीं रहे। आम दिनों की तो छोडिए, वैलेंटाइन डे तक पर श्रीराम सेना वाले तो यह धमकी दे देते हैं कि जो प्रेम करता हुआ पाया गया, उसे पीटेंगे और सरकार पुलिस को यह आदेश दे देती है कि इस दिन कोई भी नागरिक प्रेम से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसलिए प्रेम करने वाले तो श्रीराम सेना वालों से पिटते हैं और प्रेम न करने वाले पुलिस वालों से।

मुझसे कई प्रकार के लोग कई प्रकार की सलाह लेने आते रहते हैं। इस भय से कि जाकर सलाह नहीं ली, तो खुद देने आ जाएगा। उम्र का एक दौर ऎसा आता ही है जब आदमी को धन्नो भी बसंती लगने लगती है। ऎसी ही दशा वाला एक नौजवान मेरे पास आया और निवेदन किया, 'एक सलाह मिलेगी?'

मैंने झट कहा, 'बैठे किसलिए हैं? सलाहें तो मैं बिन मांगे ही देता रहता हूं जबकि तुम तो मांग भी कर रहे हो। एक क्यों दस मांगो।' उसने इच्छा प्रकट की, 'मैं चौपाया होना चाहता हूं। आपकी क्या राय है?'मैंने प्रति प्रश्न किया, 'अक्ल से तो लग ही रहे हो और भला किस तरह चौपाया होना चाहते हो?' उसने बात घुमाई, 'क्या आपने प्रेम या प्रेम विवाह किया है?'

मैं बोला, 'मैंने न एक बार भी लव किया और न एक बार भी लव मैरिज। प्यार-व्यार के मामले में मेरी स्थिति नितांत 'क्या जाने अदरक का स्वाद' वाली रही है। मेरी शादी पूरी तरह सुनियोजित थी। और मेरी भांति शादियाए हुए जानते ही हैं कि हिंदुस्तान में मैरिज अरेंज्ड हो, तो सारे काम बाप करता है सिवाय फेरे खाने के।
मुझे तो स्कूल-कॉलेज के दिनों में भी प्रेम-व्रेम नसीब नहीं हुआ। मैं था हिंदी साहित्य का छात्र सो मुझ मरते हुए पर कौन मरती? किंतु यह कमजोरी ही मेरी ताकत भी थी। एक तो मेरे हिंदी साहित्य का विद्यार्थी होने से भी मेरी भाषा जरा ठीक थी। दूसरा, मैंने ट्रकों से शेरो-शायरी नोट कर-कर के पर्याप्त होमवर्क कर रखा था। इसलिए प्रेमीजन मुझसे प्रेमपत्र लिखवाते थे। और सत्य कह रहा हूं कि जिस लड़के को प्रेमपत्र लिख देता था, उसके दो नतीजे तय थे। या तो वह अपनी प्रेमिका या उसके अन्य प्रेमियों से पिटता था या फिर उसकी अपनी प्रेमिका से शादी हो जाती थी (हालांकि, ले देकर बातें दोनों एक ही हैं)। भले ही जमाना गुजर गया किंतु यदा-कदा आज भी कई टकराते रहते हैं, अपनी प्रेमिका-पत्नी और बाल-बच्चों के साथ जो मेरे लिखे प्रेमपत्रों की वजह से ही ब्याहे गए थे। मुझे देखते ही दांत पीस कर कहने लगते हैं कि नालायक जॉर्ज बुश। तुम्हीं हो जिसने मुझ अच्छे- खासे अमरीकी सिपाही को इराक में उलझा दिया।'

वह बोला, 'तब तो आपसे इश्क-मोहब्बत के विषय में सलाह तो दूर, चर्चा करना ही व्यर्थ है।'मैंने कहा, 'व्यर्थ क्यों है? सच है कि मैंने स्वयं कभी भांग नहीं पी लेकिन भंगेडियों को तो देखा ही है। यों भी सलाह-मशविरा देने के लिए उस विषय की एबीसीडी ज्ञात होना जरूरी थोड़े ही है।'

उसने बात बढ़ाई, 'बताइए कि मुझे लव मैरिज करनी चाहिए या अरेंज्ड मैरिज?'मैंने सलाह दी, 'जब घंटे भर घोड़ी पर बैठ कर जिंदगी भर के लिए घोड़ी ही होना है, तो लव का बाईपास क्यों? प्रेम से नहीं बच सके हो तो कोई बात नहीं, प्रेमविवाह से तो बचो। अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा कि काश वक्त रहते किसी पेशेवर प्रेमी से गीता रहस्य जान लेते, तो मोक्ष पा जाते। भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर में ही प्रयोग कर सिद्ध कर दिया था कि सफल गृहस्थी का कुल रहस्य यह है कि रास राधा के संग रचाओ और ब्याह रूक्मिणी से करो।' उसने शंका प्रकट की, 'क्या प्रेम विवाह के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं?'

मैंने कहा, 'कितने गिनाऊं? ब्याह की कुनैन खाते ही प्यार का मलेरिया उतर जाता है। जंगली तोते को पिंजरे में रख दो, तो वह हरीमिर्च और चने की दाल पर आ जाता है। जो उड़-उड़ कर टीं-टीं गाता रहता था, बेचारा राम-राम बोलने लगता है। धन्नो को बसंती समझने वाला ब्याह होते ही उसी बसंती की धन्नो बन जाता है। प्रेमिका के संग प्यार के वक्त झीलों में फेंके गए कंकर शादी होते ही दाल में निकलने लगते हैं। प्रेमी जिस प्रेमिका को लेकर भागता है, शादी के बाद उसे देखते ही भागने लगता है।

उस पर उम्र का जोश हावी था। उसने मेरी संपूर्ण सलाह खारिज की और मुझे चिढ़ाने की गरज से खुमार बाराबंकवी का शेर सुनाया- 'न हारा है इश्क न दुनिया थकी है/दिया जल रहा है हवा चल रही है।'मैं भी कहां परास्त होने वाला था। अविलंब सलाह दी, 'वक्त की नजाकत को समझो प्यारे। प्रेम दर्शन का विषय है, प्रदर्शन का नही, बचो। समय बदल चुका है।'
संपत सरल
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11 टिप्‍पणियां:

संजय ने कहा…

baut sahi pareek sahab

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन!!

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद !

Tv100 ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है !आपको शुभकामनाएं !

आपका हमारे ब्लॉग http://tv100news4u.blogspot.com/ पर हार्दिक स्वागत है!

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति।

SANDEEP PANWAR ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

बहुत अच्छा.

Always Unlucky ने कहा…

Excellent writing! Thank you for this wonderful source of information.

From everything is canvas

Arunesh c dave ने कहा…

क्या बात है साहब हम तो कायल हो गये। बहुत खूब, आपने आईना दिखा दिया कि पेशा कठिन है काम्पीटिशन तगड़ा है।

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!