जय श्री कृष्णा
फिर से दो दिन बचे है होली के फिर वही जाना है श्री कृष्ण के दरबार मे मा को फिर फोन पे दीवाली पे आने की दिलषा दे दी वही प्रेम रश मे डूबने जा रहा हू वाहा के तो वातावरण मे ही १ प्रेम रस है वाहा की भूमि पे पेर रखते ही १ अनूठी खुशी ओर मन शीतल होने का अहसास होने लगता है फिर वही जाना है इस बार भी
ये मेरी ब्रिज भूमि की दूसरी यात्रा थी ये बात गुरुवार १७/०३/२०१० होली के दो दिन पहले की है | मेने तो सोचा भी नहीं था ! की मुझे अचानक होली पे घर जाने के बदले ब्रिज की पवित्र भूमि पे जाना है शायद उपर वाले के खाते में सब कुछ पहले से ही तय था तो मैं कों न था ! जो उपर वाले का प्रोग्राम बदल देता !!!!! मुझे लग-भग ४ साल होगये कोई होली दिवाली मानने मे घर जा नही पाता हर होली दीवाली पे मे कही पे भी हो रामेश्वर, वृंदावन , साई नाथ, श्याम दरबार सालसर असी असे ही स्थानो पे जाता रहता हू पर जो भी हो हर समय वो कोई न कोई बहाना करके मुझे अपने पास बुला ही लेता है तभी शायद मैं भी आजकल कुछ जयादा ही भरोसा करने लगा हु मुझे भी घर जाना चाहिए ओर ये अपनी जगह सही है माँ तो वेसे भ नाराज़ चल रही है ६ महीनो से घर जो नही गया हू मेने २-४ लोगो को तो छुटी देदी और कुछ को ताल मटोल कर रहा था ! सब को समझा रहा था जो कुछ करना है दिली मे करो मस्ती या कुछ धमाल करना है यही पे करेंगे क्यूं की मुझे भी अपना दिल जो यही पे लगाना था पर कुछ देर अपने चेमर में बिल वगेर को देख रहा था की | फिर अचानक पिछले साल की बातो ने दिमाग पे घेरा ड़ाल दिया पता ही नहीं चला की कब सायं के ५.३० बज चुके है ?फिर मैं अपने दफ्तर से निकल के अपने कैंटीन में आया और अपने कुछ राजस्थानी भाइयो को बुलाया और पिछले साल की होली के बारे में बताया तो हम लोग ८-९ आदमी होली मानाने के लिए वृन्दावन मथुरा गोकुल , नन्द गोवं बृज भूमि जाने के लिए राज़ी होगये मेरी दूसरी यात्रा थी
कैमरे में कैद होली
फिर से दो दिन बचे है होली के फिर वही जाना है श्री कृष्ण के दरबार मे मा को फिर फोन पे दीवाली पे आने की दिलषा दे दी वही प्रेम रश मे डूबने जा रहा हू वाहा के तो वातावरण मे ही १ प्रेम रस है वाहा की भूमि पे पेर रखते ही १ अनूठी खुशी ओर मन शीतल होने का अहसास होने लगता है फिर वही जाना है इस बार भी
ये मेरी ब्रिज भूमि की दूसरी यात्रा थी ये बात गुरुवार १७/०३/२०१० होली के दो दिन पहले की है | मेने तो सोचा भी नहीं था ! की मुझे अचानक होली पे घर जाने के बदले ब्रिज की पवित्र भूमि पे जाना है शायद उपर वाले के खाते में सब कुछ पहले से ही तय था तो मैं कों न था ! जो उपर वाले का प्रोग्राम बदल देता !!!!! मुझे लग-भग ४ साल होगये कोई होली दिवाली मानने मे घर जा नही पाता हर होली दीवाली पे मे कही पे भी हो रामेश्वर, वृंदावन , साई नाथ, श्याम दरबार सालसर असी असे ही स्थानो पे जाता रहता हू पर जो भी हो हर समय वो कोई न कोई बहाना करके मुझे अपने पास बुला ही लेता है तभी शायद मैं भी आजकल कुछ जयादा ही भरोसा करने लगा हु मुझे भी घर जाना चाहिए ओर ये अपनी जगह सही है माँ तो वेसे भ नाराज़ चल रही है ६ महीनो से घर जो नही गया हू मेने २-४ लोगो को तो छुटी देदी और कुछ को ताल मटोल कर रहा था ! सब को समझा रहा था जो कुछ करना है दिली मे करो मस्ती या कुछ धमाल करना है यही पे करेंगे क्यूं की मुझे भी अपना दिल जो यही पे लगाना था पर कुछ देर अपने चेमर में बिल वगेर को देख रहा था की | फिर अचानक पिछले साल की बातो ने दिमाग पे घेरा ड़ाल दिया पता ही नहीं चला की कब सायं के ५.३० बज चुके है ?फिर मैं अपने दफ्तर से निकल के अपने कैंटीन में आया और अपने कुछ राजस्थानी भाइयो को बुलाया और पिछले साल की होली के बारे में बताया तो हम लोग ८-९ आदमी होली मानाने के लिए वृन्दावन मथुरा गोकुल , नन्द गोवं बृज भूमि जाने के लिए राज़ी होगये मेरी दूसरी यात्रा थी
कैमरे में कैद होली
7 टिप्पणियां:
जिसे वो बुलाता है बिन डोर खिंचा जाता है।
वाह जी वाह ... बधाई और शुभकामनाएं होली की ...
बहुत बढ़िया
होली की शुभ कामनाए
बहुत बढ़िया .होली की शुभकामनाएं ...
bahut achchha laga aapke blog par aana.holi parv kee aapko bhi bahut bahut shubhkamnayen.
bahut sundar...holi ki vadhaiyan...
holi ki shubhkamnayen....!!!
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