रविवार, 28 नवंबर 2010

मेरी बिटिया

साथियों, यह आलोचना नहीं, हमारे चरित्र पर एक करारा तमाचा है। सुनील त्‍यागी ने एक ऐसे भिखारी के बारे में बात की जो भीख मांग कर बेटियों का विवाह करता है। मगर उस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है।
उधर स्मित मिश्र के सवाल पर भी तर्क ही बदल दिये जा रहे हैं, मुददे फिसल रहे है। इस हालत पर देखिये तो कि हमारे दो साथियों ने क्‍या कमेंट किया है। इससे करारा व्‍यंग्‍य और क्‍या होगा हमारे तौर तरीकों पर।

Satpal Kaswan जो बात चर्चा करने वाली है उसे इग्नोर किया जा रहा है और फालतू बातो पे लिखा जा रहा है ........... वह रे बिटिया तू क्या भाग्य लेकर आई 

Rajnish Parihar समूह का नाम मेरी बिटिया से बदल कर 'मेरे विवाद' कर देना चाहिए..क्युम्नकी यहाँ बेटी पर लिखी कविता पर ४ कमेन्ट मिलते है,जबकि विवादों पर हज़ार कमेन्ट मिलते है...बिटिया पर कम और विवादों पर चर्चा ज्यादा होती है...

अब भी समय है हम अपने रवैये के प्रति गंभीर हो सकते हैं।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Great post, I think I can actually use this.