सोच रहा हैं अरुणा शानबाग का बिस्तर
अरुणा
मर तो तुम उस दिन ही गयी थी
जिस दिन एक दरिन्दे ने
तुम्हारा बलात्कार किया था
और तुम्हारे गले को बाँधा था
एक जंजीर से
जो लोग अपने कुत्ते के गले मे नहीं
उसके पट्टे मे बांधते हैं
उस जंजीर ने रोक दिया
तुम्हारे जीवन को वही
उसी पल मे
कैद कर दिया तुम्हारी साँसों को
जो आज भी चल रही हैं
मर तो तुम उस दिन ही गयी थी
जिस दिन एक दरिन्दे ने
तुम्हारा बलात्कार किया था
और तुम्हारे गले को बाँधा था
एक जंजीर से
जो लोग अपने कुत्ते के गले मे नहीं
उसके पट्टे मे बांधते हैं
उस जंजीर ने रोक दिया
तुम्हारे जीवन को वही
उसी पल मे
कैद कर दिया तुम्हारी साँसों को
जो आज भी चल रही हैं
उस जंजीर ने बाँध दिया तुमको एक बिस्तर से
और आज भी ३७ साल से वो बिस्तर ,
मै
तुम्हारा हम सफ़र बना
देख रहा हूँ तुम्हारी जीजिविषा
और सोच रहा हूँ
क्यूँ जीवन ख़तम हो जाने के बाद भी तुम जिन्दा हो ??
तुम जिन्दा हो क्युकी तुमको
रचना हैं एक इतिहास
सबसे लम्बे समय तक
जीवित लाश बन कर
रहने वाली बलात्कार पीड़िता का
उस पीडिता का जिसको
अपनी पीड़ा का कोई
एहसास भी नहीं होता
हो सकता हैं
कल तुम्हारा नाम गिनीस बुक मे
भी आजाये
क्यूँ चल रही हैं सांसे आज भी तुम्हारी
शायद इस लिये क्युकी
रचना हैं एक इतिहास तुम्हे
जहां अधिकार मिले
लोगो को अपनी पीड़ा से मुक्ति पाने का
उस पीड़ा से जो वो महसूस भी नहीं करते
आज लोग कहते हैं
बेचारी बदकिस्मत लड़की के लिये कुछ करो
भूल जाते हैं वो कि
लड़की से वृद्धा का सफ़र
तुमने अपने बिस्तर के साथ
तय कर लिया हैं
काट लिया कहना कुछ ज्यादा बेहतर होता
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
एक बिस्तर कि भी पीड़ा होती हैं
कब ख़तम होगी मेरी पीड़ा
अरुणा का बिस्तर सोच रहा हैं
और कामना कर रहा हैं
फिर किसी बिस्तर को न
बनना पडे
किसी बलात्कार पीड़िता
का हमसफ़र
लेकिन
बदकिस्मत एक बलात्कार पीड़िता नहीं होती हैं
बदकिस्मत हैं वो समाज जहां बलात्कार होता हैं
बड़ा बदकिस्मत हैं
ये भारत का समाज
जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
असंस्कारी ही बना रहता हैं
और आज भी ३७ साल से वो बिस्तर ,
मै
तुम्हारा हम सफ़र बना
देख रहा हूँ तुम्हारी जीजिविषा
और सोच रहा हूँ
क्यूँ जीवन ख़तम हो जाने के बाद भी तुम जिन्दा हो ??
तुम जिन्दा हो क्युकी तुमको
रचना हैं एक इतिहास
सबसे लम्बे समय तक
जीवित लाश बन कर
रहने वाली बलात्कार पीड़िता का
उस पीडिता का जिसको
अपनी पीड़ा का कोई
एहसास भी नहीं होता
हो सकता हैं
कल तुम्हारा नाम गिनीस बुक मे
भी आजाये
क्यूँ चल रही हैं सांसे आज भी तुम्हारी
शायद इस लिये क्युकी
रचना हैं एक इतिहास तुम्हे
जहां अधिकार मिले
लोगो को अपनी पीड़ा से मुक्ति पाने का
उस पीड़ा से जो वो महसूस भी नहीं करते
आज लोग कहते हैं
बेचारी बदकिस्मत लड़की के लिये कुछ करो
भूल जाते हैं वो कि
लड़की से वृद्धा का सफ़र
तुमने अपने बिस्तर के साथ
तय कर लिया हैं
काट लिया कहना कुछ ज्यादा बेहतर होता
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
एक बिस्तर कि भी पीड़ा होती हैं
कब ख़तम होगी मेरी पीड़ा
अरुणा का बिस्तर सोच रहा हैं
और कामना कर रहा हैं
फिर किसी बिस्तर को न
बनना पडे
किसी बलात्कार पीड़िता
का हमसफ़र
लेकिन
बदकिस्मत एक बलात्कार पीड़िता नहीं होती हैं
बदकिस्मत हैं वो समाज जहां बलात्कार होता हैं
बड़ा बदकिस्मत हैं
ये भारत का समाज
जो बार बार संस्कार कि दुहाई देकर
असंस्कारी ही बना रहता हैं
19 टिप्पणियां:
Hello, I visited and I really enjoyed your blog. I'm already a follower. Visit mine too and if you like, follow me please. Thank you.
http://www.vivianeborges.com/
हमारे समाज की दशा अत्यंत ही दुखद और खेदजनक है।
samaj ki dukhad sthiti ka hridayshparsi marmik abhivyakti.
truly brilliant..
keep writing..all the best
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
बहुत सुन्दर पंक्तियों के माध्यम से ह्रदय की व्यथा को प्रकट किया है आपने .होली पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
मार्मिक, झकझोरने वाला व सार्थक
Dinesh bhai, bahut gahree baat kah dee aapne,
---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का विनम्र प्रयास।
लो भाई
आ गया
आपके ब्लोग पर
आपका आदेश
सिर माथे !
बहुत खूब
बहुत शानदर
बहुत जानदार है
आपका ब्लोग !
बधाई हो !
जय हो आपकी !
भाई दिनेश जी! आपके ब्लॉग को देखा. आपने तो बहुत ही ज्वलंत मुद्दों पर गंभीरता से कलम चलाई है. इसे व्यंग्य क्यों कह रहे हैं. बहरहाल संपर्क बने रहना चाहिए. मैं आपको फोलो कर रहा हूँ ताकि डेशबोर्ड पर हर पोस्ट की जानकारी मिले. मेरे चार ब्लॉग हैं. gazalganga.blogspot.com, khabarganga.blogspot.com,chauthakhambha-gazalganga.blogspot.com aur ghazalganga-ghazalganga.blogspot.com फुर्सत मिले तो देखें.
----देवेन्द्र गौतम
सुन्दर अभिव्यक्ति है भाई आपके इस ब्लॉग पर.
dinesh bhai...katu satya ko prakaashit karne ke liye shukriyaa!
rachna achi lagi aapki,
phir koi aisa vakiya na ho yehi hame pryas karna hai.........
होली की शुभकामनायें...... हैप्पी होली
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना|
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं
कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं
और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं
फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं
बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
Ek dum saty likha hai aapne..aur sabse acha ye ki shabd bhi kathor chune hain...taa ki chot kar sakein dil-dimmag par...
kabhi waqt mile to mere blog pe bhi aayiga aur apni tippni se navaziyega...
http://phattphattphatt.blogspot.com/
धन्यवाद दिनेश!..आपका ब्लोग बहुत पसंद आया!...लेखन शैली प्रशंसनीय है!
Thanks for sharing this with us. i found it informative and interesting. Looking forward for more updates..
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