मंगलवार, 22 मार्च 2011

कैमरे में कैद होली

ये सारा  दर्शय  वृन्दावन और मथुरा  का है | जहाँ पर मुझे श्री कृष्ण और राधे की कृपा से दूसरी बार होली खेलने का शोभागय प्राप्त  हुआ है | 
श्री कुञ्ज बिहारी के दर्शन मात्र से पाप नष्ट हो जाते है |  मेने मेरे जीवन का दूसरी बार अद्भुत दर्शय  देखा | जो श्री हरी कृपा  के बिना संभव नहीं था  बस उनकी वृन्दावन , मथुरा बरसना गोकुल गोवर्धन धाम के कुछ दर्शय  दिखाना चाहता हु  
दिनेश पारीक   
 
दिनेश पारीक   



कैमरे में कैद होली
कैमरे में रंग था 
या रंग में था कैमरा

यह पता करना कठिन था
झर रहे थे रंग हाथों सेया बस रहे थे हाथ रंगों में रंग का त्यौहार था या 
हार में गूँथे हुए थे रंग
देखकर भी जान पानाउस समय मुमकिन नहीं था

कोई हीरामन कहीं अंदर बसा था
कोई हरियल सुआ हाथों पर जमा था
कोई पियरी उड़ रही थी कैमरे मेंकोई हल्दी बस रही थी उँगलियों में

रास्तों पर रंग बिखरे थे हवा मेंहर कहीं उत्सव की धारें आसमाँ में
खुशबुओं के थाल नजरों से गुजरते
और परदे पार चूड़ी काँच की
बजती खनक सी
इक हँसी...
जाती थी दिल के पार- गहरी
उस हँसी से लिपट पियरी
नाचती थी
उस हँसी में डूब हीरामन रटा करता था-
होली...

एक पट्टा कैमरे में और वह पट्टा गले मेंकैमरे में गले से लटका हुआ वह शहर सारा
कैमरे में कैद होली
होलियों में शहर घूमा 
रंग डूबा- कैमरा यों ही आवारा
कैमरे में कैद थी होली कि या फिर
होलियों में कैद था वह कैमरा
कहना कठिन था




---दिनेश पारीक 

यह मिट्टी की चतुराई है,
रूप अलग औ’ रंग अलग,
भाव, विचार, तरंग अलग हैं,
ढाल अलग है ढंग अलग,

आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो।
होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को!

निकट हुए तो बनो निकटतर
और निकटतम भी जाओ,
रूढ़ि-रीति के और नीति के
शासन से मत घबराओ,

आज नहीं बरजेगा कोई, मनचाही कर लो।
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो!

प्रेम चिरंतन मूल जगत का,
वैर-घृणा भूलें क्षण की,
भूल-चूक लेनी-देनी में
सदा सफलता जीवन की,

जो हो गया बिराना उसको फिर अपना कर लो।
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!

होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर लो,
होली है तो आज मित्र को पलकों में धर लो,
भूल शूल से भरे वर्ष के वैर-विरोधों को,
होली है तो आज शत्रु को बाहों में भर लो!



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14 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

होली की सपरिवार रंगविरंगी शुभकामनाएं |

Patali-The-Village ने कहा…

मुबारक हो आप को मथुरा वृन्दाबन में होली मानाने की| बहुत सुन्दर दृश्य |

मंजुला ने कहा…

आपको मेरा ब्लॉग पसंद आया बहुत बहुत धन्यवाद ....आपने होली एन्जॉय किया भरपूर बहुत बधाई ...इन दोनों कविता का फॉण्ट बहुत छोटा है...
शुभकामनायो सहित
मंजुला

Roshani Sahu ने कहा…

Thanks for the comment friend. and aapko bhi holi ki bahut sari shubhkaamnayen :)God bless you.

Arshad Ali ने कहा…

Bhai,

sabe pahle badhai le apne is post ke liye..jiske madad se maine bhi mathura ke holi ka aannad liya..behad mazedar

kabhi samay mile to mere blog par aayen..aapka swagat hai.

आकाश सिंह ने कहा…

होली की फाईल संग्रह बढ़िया किये हैं
यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ...
www.akashsingh307.blogspot.com

Atul Shrivastava ने कहा…

बहुत अच्‍छा लगा आपके ब्‍लाग में आकर।
होली तो बीत गई है लेकिन आपके ब्‍लाग में आकर फिर से होली की मस्‍ती को और वो भी मथुरा की होली की मस्‍ती को महसूस किया।
शुभकामनाएं आपको।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

होली बहुत अच्छी लगी पर कविता नही पढ़ सकी ,क्योकि अक्षर इतने बारीक थे की दिखाई नही दिए --थोड़े बड़े शब्द लिखो अगली बार जरुर पदूगी ..

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

dear dinesh
achchha likhte ho,
tum lekhan main bahut aage tak jao

aabhar

nilesh mathur ने कहा…

परिक जी, आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा, मैंने देखा की आप ने लिखा है की आप पारिक समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ परिक समाज के लिए ही क्योँ??? देश और बाकी समाज के लिए क्यों नहीं????

Dr Varsha Singh ने कहा…

रचना में भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है.. ...बधाई.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

भिन्न भिन्न प्रकार के फूल इस प्रस्तुति मेँ सजाये हैँ आपने......

अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !

डॉ. पूनम गुप्त ने कहा…

आपको मेरा ब्लॉग पसंद आया बहुत बहुत धन्यवाद . आपके ब्‍लाग में आकर फिर से होली की मस्‍ती को महसूस किया।
शुभकामनाएं ।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

होली मुबारक