मेरी धड़कन
मेरी धड़कन, मॉं
लौट रही थी खाली घड़ा लेकर
मैं पलट रहा था थी भूगोल के पृष्ट... और
खोज था
देश के मानचित्र पर
नदियों का बहाव
मॉं
सामना कर रही थी भूखमरी से
वे चखना चाहते
अनाज के बदले उसकी देह
मैं उसकी कोख में
तलाश रहा था भट्टी
हथियार बनाने के लिए
मॉं
जर्जर कमरे में , हाथ की फटी साड़ी में
ढ़ॉंप रही थी देह और दुविधा
मैं उसकी कोख में
बुन रही थी वस्त्र आकार के क्षेत्रफल-सा
मॉं
दंगे में भीड़ से घिरी चीख रही है
संभाल नहीं पा रही है अपने कटे हुए पेट को
एक अकेले हाथ से
दूसरा हाथ कटकर दूर जा गिरा है
मैं, गर्भस्थ शिशु
पेट से बाहर टुकड़े-टुकड़े बिखरा हूँ
मैं ठीक उसी समय हलाल हुआ
जब कोख में लिख रहा था धर्म का अर्थ ।
दिनेश पारीक
23 टिप्पणियां:
मार्मिक ... ह्रदय विदारक दृश्य खींचा है आपने ..
अति मार्मिक!!
दिल में कुछ दर्द सा हुआ...
मगर काबिले तारीफ लेखन.
bahut maarmik prastuti...
बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
" सवाई सिंह "
मार्मिक!
उफ़...
(प्रकाशित होने की दिनांक ठीक कर लें भाई जी !)
मनोज जी आपकी पोस्ट की तारीख २१-०३-२०१२ दिखा रहा है .
मार्मिक मगर बहुत सुन्दर
वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
बहुत मार्मिक...अंतस को झकझोरती प्रस्तुति...
marmik.....
बहुत अच्छा लिखते हैं, गहन अनुभूति है.
very touchy
बहुत सुंदर भाव,बेहतरीन मर्मस्पर्शी सुन्दर रचना.....
सुन्दर प्रस्तुति.... बहुत बहुत बधाई...
अंतस को झकझोरती हुई बेहतरीन रचना...
बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
शायद प्रथम बार आपके ब्लॉग में आया हूँ,बहुत सारी पोस्टें पढ़ी,अच्छी लगी....
शुभकामनाये....और आभार..................
गरीबी ,असहायता ,शोषण और शोषण ,साम्प्रदायिकता के सूक्ष्म आयामों को समेटे है यह रचना अपने कलेवर में .बेहद विचलित करती है पाठाक को .
Mother is great...and great ..
बहुत ही दु:खद वास्तविकता!....उत्तम प्रस्तुति!
बहुत मार्मिक! नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सुन्दर प्रस्तुति..बहुत-बहुत बधाई । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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