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शनिवार, 27 नवंबर 2010
व्यंग्य
व्यंज़ल
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सभ्य बनने की कोशिश यूँ मेरी भी पूरी थी
तेरे शहर की फ़िजाँ में कोई बात रही होगी
ये तो कबूल लो पार्टनर कि इस रुसवाई में
हमेशा की तरह जरा सी कोई बात रही होगी
दंगे-फ़साद यूं मुफ़्त में कहीं भी नहीं होते
मानो न मानो कोई न कोई बात रही होगी
सब ने यहाँ पे सी लिए हैं होंठ अपने अपने
पता कैसे चले कि क्या कोई बात रही होगी
हमें भी कोई शौक नहीं था बतंगड़ का रवि
बात पे निकली थी तो कोई बात रही होगी
फेसबुक और एमएस आफिस बने दोस्त डॉक्स.कॉम पर
फेसबुक और एमएस आफिस बने दोस्त डॉक्स.कॉम पर
अपनी वर्ड, एक्सेल, पॉवर प्वाइंट फाईलें फेसबुक मित्रों से साझा करें
हमारी कंप्यूटिंग की दुनिया तेजी से क्लाउड की ओर अग्रसर है – मतलब ये कि वो पूरी तरह ऑनलाइन होने जा रही है। इसके प्रत्यक्ष प्रमाण रूप में जब माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने ऑफ़िस सूट 2010 (जिसमें तमाम आफिस तंत्राँश जैसे कि वर्ड, एक्सेल, पॉवर प्वाइंट आदि शामिल होते हैं) को जारी किया तो उसमें न केवल ऑनलाइन दस्तावेज़ों के संपादन व साझा करने की सुविधा मुहैया कराई बल्कि ऐसे प्रयोक्ताओं के लिए जो ऑफ़िस सूट ख़रीद कर प्रयोग करने की कतई श्रद्धा नहीं रखते थे, डॉक्स.कॉम-बीटा नाम से ऑफ़िस सूट 2010 का ऑनलाइन संस्करण भी फ़ेसबुक के रास्ते जारी किया।
हालांकि माइक्रोसॉफ़्ट फ्यूज लैब्स द्वारा जारी डॉक्स.कॉम अब अभी अपने बीटा संस्करण में ही है और इसमें संपूर्ण ऑफ़िस सूट की सुविधाएँ शामिल नहीं की गई हैं, मगर इस पर त्वरित नजर डालने से इसकी संभावनाओं सुविधाओं के बारे में मालूमात किए जा सकते हैं और ये भी कयास लगाए जा सकते हैं कि भविष्य में क्लाउड कंप्यूटिंग का बिज़नेस मॉडल किस तरह आकार ग्रहण करेगा। यकीनन व्यक्तिगत या घरेलू प्रयोग करने वाला प्रयोक्ता आने वाले समय में बेहद फायदे में रहेगा क्योंकि उसे भारी भरकम राशि खर्च कर महंगे सॉफ़्टवेयर उत्पाद खरीदने नहीं पड़ेंगे। आमतौर पर सभी प्रमुख ऑनलाइन उत्पाद उसे मुफ़्त या अत्यंत किफायती कीमतों में और पूर्णतः कानूनी तरीके से हासिल होंगे। पर्सनल कंप्यूटिंग >>> (पूरा आलेख पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें)
विविध
इस मेरे ब्लॉग पे अनेक परकार की घटनाओ और विचारओ पैर में अपने व्न्ग्य देता हु
धन्यवाद
व्यंग्य
तुझे मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?
मैं अपने ज्ञान और स्वज्ञान के भरोसे अपने ब्लॉग पोस्टों में, अपने हिसाब से, अपने विचार से, स्तरीय सामग्री ही लिखता हूं. मेरे ये पोस्ट दूसरों को मेरे अज्ञान, अल्पज्ञान से भरे कूड़ा लगते हैं तो इसमें मैं क्या करूं? मैं अपने ब्लॉग में अपने संपूर्ण होशोहवास व ज्ञान के हिसाब से, अपने हिसाब से सही-सही ही लिखता हूँ. दूसरों को ये भले ही गलत लगें. अब मैं दूसरों के हिसाब से तो नहीं लिख सकता. ....क्योंकि ये ब्लॉग मेरा है.
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