सोमवार, 12 मार्च 2012
यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं मर्द हूं, तुम औरत, मैं भूखा हूं, तुम भोजन!!
यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं मर्द हूं, तुम औरत, मैं भूखा हूं, तुम भोजन!!
: मैं मर्द हूं, तुम औरत, मैं भूखा हूं, तुम भोजन!! मैं भेड़िया, गीदड़, कुत्ता जो भी कह लो, हूं. मुझे नोचना अच्छा लगता है. खसोटना अच्छा लगता ...
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)