मंगलवार, 29 मई 2012

मेरा मन


इस अंतर  मन को क्या मैं पुछु और क्या  मैं इस की सुनु
ख्वाबो में तो रोज़ मुलाकात होती हैं पर ये समझता ही चला जाता है
जाने मन के किस कोने में छुप सो जाती है, सच्चाई
फिर तो दुसरे दिन ही मुलाकात हो पति है
पर तब तक तो वो इरादा बदला चूका होता है
ये सुनता तो बहुत ही कम है
चलो दोस्तों आज फिर इस से मिलने का इरादा बनाते है इस खोजते है इस नभ में , इस  उपवन मैं  उस सपनो की नगरी मैं
चलो चलो >>>>..............

गुरुवार, 3 मई 2012

प्राइवेट पार्ट के गोरेपन पर इंटरनेट पर छिड़ी बहस

हद  हो गई  अब क्या  बाकि रह गया है  हिंदुस्तान का सेंशर बोर्ड कर क्या रहा है कभी डर्टी जेसी फिल्मे  आती है और अब तो टीवी पर भी विज्ञापन एसे दिखाई पड़ते है की  देखने वालो लो भी सरम मह्सुश  होने लगती है
मौजूदा समय में एक फेयरनेस क्रिम को लेकर इंटरनेट की दुनिया में जोरदार बवाल मचा हुआ है। यह बवाल हाल ही में टीवी पर प्रसारित हाईजीन फेयरनेस क्रिम के विज्ञापन को लेकर मचा है। इस क्रीम ने यह दावा किया है कि इसके इस्‍तेमाल से महिलाएं अपने प्राइवेट पार्ट का रंग निखार सकती हैं। इस विज्ञापन के प्रसारण के बाद इंटरनेट की दुनिया में एक नई बहस छिड़ गई है और लोग इस विज्ञापन की जमकर निंदा कर रहे हैं।

आगे की बात करने से पहले आपको विज्ञापन के बारे में बताते हैं। विज्ञापन में दिखाया गया है कि एक पत्‍नी इस बात से बेहद परेशान है कि उसका पति उससे ज्‍यादा अखबारों में खोया रहता है। विज्ञापन में दिखाया गया है कि जैसे ही वह इस हाईजीन क्रीम का इस्‍तेमाल करती ह‍ै उसका पति उसकी ओर खिंचा चला आता है।

अब जरा इंटरनेट की दुनिया में मचे घमासान के बारे में चर्चा करते हैं। इस विज्ञापन को लेकर लोगों में खासा रोष है। सोशल नेटवर्किंग साइट यू ट्यूब पर तो इस विज्ञापन को सात लाख से भी ज्‍यादा लोग देख चुके हैं और इनमें ज्‍यादातर इसके खिलाफ हैं। यू ट्यूब पर एक यूजर्स ने इस विज्ञापन के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि 'महिलाओं को उपेक्षित महसूस कराने वाला एक और उत्‍पाद'। वहीं एक दूसरे यूजर्स ने लिखा है कि 'क्‍या वाकई में इस विज्ञापन में प्राइवेट पार्ट को लेकर महिलाओं की समस्‍याओं को दिखाया गया है? क्‍या वाकई में त्‍वचा का रंग एक समस्‍या है? यह पूरी तरह बकवास है।'

मालूम हो कि बॉलीवुड की कई हस्‍तियां और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी भी फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करते हुए नजर आ चुकी हैं। जिनका दावा है कि उनकी क्रीम के इस्‍तेमाल से कोई भी गोरा बन सकता है और वह सबकुछ हासिल कर सकता है जिसकी उसे चाहत है। इन विज्ञापनों में दिखाया जाता है कि किस तरह सांवाले रंग वाली लड़की तब तक आगे नहीं बढ़ पाती जब त‍क कि वो इस जादूई फेयरनेस क्रीम का इस्‍तेमाल न कर ले। अब सवाल यह है कि क्‍या इस तरह के विज्ञापन महिलाओं का अपमान नहीं है? क्‍या गोरा रंग जिंदगी के हर इम्‍तहान के लिए जरूरी है?

क्या सांवाले रंग वाली लड़की की शादीया  नहीं होती  ?
क्या सांवाले रंग वाली लड़की  रंग को लेके अव्शाद में रहती है ?
आजकल तो इस गोरे रंग ने वापिस रंग भेद निति जेसी प्रथा को याद दिला दिया  

मंगलवार, 1 मई 2012

मेरा बचपन


लोटा दो वो बचपन की यादे , वो गलियों ,वो   नुकढ़ की बाते
लोटा दो मेरे जीते कंचे जो बाकि है | वो रंगबिंगी पत्नगे
वो सपनो की राजकुमारी लोटा दो वो दादा जी की कहानी
वो ऊंट की सवारी , वो १० पेसे की पेन्सिल ,
वो चुपके गुटके कहने की आदत , लोटा दो वो बचपन की बाते  मेरी बचपन की यादे ,
वो मासूम चेहरा , वो मासूमियत की लाली
क्यों नहीं लोटा ते वो बचपन की शेतानी  
ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,
माँ जो बचपन में करती वो प्यार चाहिए
लोटा दो वो मेरा बचपन की बाते वो वो आँखों के आंसू
काश कोई लोटा दे वो बचपन का गुजरा जमाना

माँ पिता का वो प्यार वो मनुहार,
वो डांट फटकार, वो रोना मचलना,
वो रोती आँखों से मुस्कुराना याद आ गया,
बस रह गई एक कसक इतनी,
वो गुजरा जमाना जिसे छोड़ आये थे राह में कहीं,
अब भी खड़ा ताकता होगा राह उसी राहगुजर में,
पर बेबस हूँ मैं जा नहीं सकता वापिस,
उसकी यादो संग हसना रोना अब किस्मत मेरी,
वो गुजरा जमाना याद आ गया,
कोई तो लोटा दो वो बचपन की यादे , वो गलियों ,वो   नुकढ़ की बाते

दिनेश पारीक