मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

आपबीती को मैं जगबीती बनाता हूँ


आपबीती को मैं जगबीती बनाता हूँ

न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ
ग़ज़ल में आपबीती को मैं जगबीती बनाता हूँ
ग़ज़ल वह सिन्फ़-ए-नाज़ुक़ है जिसे अपनी रफ़ाक़त से
वो महबूबा बना लेता है मैं बेटी बनाता हूँ
हुकूमत का हर एक इनआम है बंदूकसाज़ी पर
मुझे कैसे मिलेगा मैं तो बैसाखी बनाता हूँ
मेरे आँगन की कलियों को तमन्ना शाहज़ादों की
मगर मेरी मुसीबत है कि मैं बीड़ी बनाता हूँ
सज़ा कितनी बड़ी है गाँव से बाहर निकलने की
मैं मिट्टी गूँधता था अब डबल रोटी बनाता हूँ
वज़ारत चंद घंटों की महल मीनार से ऊँचा
मैं औरंगज़ेब हूँ अपने लिए खिचड़ी बनाता हूँ
बस इतनी इल्तिजा है तुम इसे गुजरात मत करना
तुम्हें इस मुल्क का मालिक मैं जीते-जी बनाता हूँ
मुझे इस शहर की सब लड़कियाँ आदाब करती हैं
मैं बच्चों की कलाई के लिए राखी बनाता हूँ
तुझे ऐ ज़िन्दगी अब क़ैदख़ाने से गुज़रना है
तुझे मैँ इस लिए दुख-दर्द का आदी बनाता हूँ
मैं अपने गाँव का मुखिया भी हूँ बच्चों का क़ातिल भी
जलाकर दूध कुछ लोगों की ख़ातिर घी बनाता हूँ
दिनेश पारीक 
दुस्र्भाश नो. ९५८२५९८२४४ 

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

जनवरी लोकपाल विधेयक मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली में सुधार होगा.


जनवरी लोकपाल विधेयक मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली में सुधार होगा.नागरिक समाज द्वारा प्रस्तावित प्रणाली सिस्टम मौजूदाकोई राजनेता या वरिष्ठ अधिकारी कभी बड़ा सबूत फैले भ्रष्टाचार (एसीबी) शाखा और सीबीआई क्योंकि सीधे सरकार के तहत आने के बावजूद जेल में जाता है. जांच शुरू करने या किसी भी मामले में अभियोजन की शुरुआत से पहले, वे एक ही मालिक से अनुमति लेना है, जिनके खिलाफ मामले में जांच की जानी है. और राज्य स्तर पर केंद्र लोकायुक्त पर लोकपाल स्वतंत्र निकायों किया जाएगा. एसीबी और सीबीआई इन निकायों में विलय हो जाएगा. वे किसी की अनुमति की जरूरत के बिना किसी भी अधिकारी या राजनेता के खिलाफ अभियोजन और जांच आरंभ शक्ति होगा. जांच और परीक्षण 1 वर्ष के भीतर पूरा किया जाना चाहिए करने के लिए अगले 1 साल में खत्म हो. दो साल के भीतर, भ्रष्ट जेल में जाना चाहिए.कोई भ्रष्ट अधिकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, क्योंकि केंद्रीय सतर्कता आयोग, जो भ्रष्ट अधिकारियों को खारिज माना जाता है केवल एक सलाहकार निकाय है. जब भी यह सरकार किसी भी वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्ट खारिज करने के लिए सलाह देते हैं, इसकी सलाह कभी नहीं लागू किया जाता है. लोकपाल और लोकायुक्त को पूरा करने के एक भ्रष्ट अधिकारी की बर्खास्तगी के आदेश शक्तियों होगा. सीवीसी और सभी विभागीय सतर्कता लोकपाल में विलय हो जाएगा और राज्य सतर्कता लोकायुक्त में विलय हो जाएगा.कोई कार्रवाई नहीं की भ्रष्ट न्यायाधीशों के खिलाफ ली गई है, क्योंकि अनुमति भारत के मुख्य न्यायाधीश से आवश्यक है के लिए भी भ्रष्ट न्यायाधीशों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज. लोकपाल और लोकायुक्त जांच करने के लिए और किसी की अनुमति की जरूरत के बिना किसी भी जज पर मुकदमा चलाने के अधिकार होगा.कहीं जाने के लिए - लोग भ्रष्टाचार का पर्दाफाश लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की उनकी शिकायतों पर लिया जाता है. लोकपाल और लोकायुक्त की जांच करने के लिए और हर शिकायत सुनना होगा.वहाँ सीबीआई और सतर्कता विभाग के भीतर इतना भ्रष्टाचार है. उनके कामकाज इतना रहस्य नहीं है कि वह इन एजेंसियों के भीतर भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करती है. लोकपाल और लोकायुक्त में सभी जांच पारदर्शी होगा.जांच पूरी होने के बाद सभी मामले रिकॉर्ड जनता के लिए खुला होगा.लोकपाल और लोकायुक्त के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत और पूछताछ की जाएगी सजा दो महीने के भीतर की घोषणा की.कमजोर और भ्रष्ट लोगों को भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के प्रमुखों के रूप में नियुक्त कर रहे हैं. नेताओं बिल्कुल कोई अध्यक्ष के चयन और लोकपाल और लोकायुक्त के सदस्यों में कहना होगा. चयन किसी पारदर्शी और सार्वजनिक भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से जगह ले जाएगा.नागरिकों सरकारी कार्यालयों में उत्पीड़न का सामना. कभी कभी वे रिश्वत देने को मजबूर हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी को ही शिकायत कर सकते हैं. कोई कार्रवाई नहीं की शिकायतों पर ले लिया है क्योंकि वरिष्ठ अधिकारियों को भी अपने कटौती हो. लोकपाल और लोकायुक्त सार्वजनिक समयबद्ध तरीके से हल शिकायतों मिलता है, देरी के प्रति दिन 250 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा करने के लिए दोषी अधिकारी और पुरस्कार के वेतन से कटौती की है कि राशि पीड़ित नागरिक को मुआवजे के रूप में.कानून में कुछ भी बीमार हो गया धन वसूली के लिए. एक भ्रष्ट व्यक्ति जेल से बाहर आते हैं और उस पैसे का आनंद सकता है. नुकसान भ्रष्टाचार के कारण सरकार ने सभी आरोपियों से बरामद किया जाएगा कारण होता है.भ्रष्टाचार के लिए सजा भ्रष्टाचार के लिए लघु सजा कम से कम 6 महीने और अधिकतम 7 साल है. बढ़ाया सजा - सजा कम से कम 5 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की होगी

रविवार, 10 अप्रैल 2011

राजस्थान के गुमनाम नायकों को सलाम

news today
राजस्थान के गुमनाम नायकों को सलाम 
यह मायने नहीं रखता कि आप कौन हैं या कहां से हैं? ऑफिसर्स च्वाइस इसे सच साबित करता है। ऑफिसर्स च्वाइस और न्यूज टुडे एकजुट हुआ जिसमें 'ऑफिसर्स च्वाइस न्यूज टुडे सलाम राजस्थान' के माध्यम से आम आदमी की उपलब्धियों और समाज के प्रति उनकी वचनबद्धता को सेलिब्ा्रेट किया गया। ऑफिसर्स च्वाइस द्वारा परिकल्पित और न्यूज टुडे-पत्रिका समूह का एक अग्रणी दैनिक, द्वारा समर्थित, इस पहल के तहत चार मुख्य श्रेणियों- शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा, खेल तथा बहादुरी में लोगों को सम्मानित व पुरस्कृत किया गया।

विजेताओं का फैसला निर्णायकों के एक सम्मानित पैनल द्वारा किया गया। सम्मान समारोह का आयोजन जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में किया गया। इस अवसर पर रोमांचक प्रस्तुतियां तथा सांस्कृतिक संगीत का आयोजन किया गया।

एलाइड ब्लेंडर्स और डिस्टिलर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रूपक चतुर्वेदी ने बताया कि 'एक ऎसे आयोजन का हिस्सा होना सौभाग्य की बात है, जो उन शांत व गुमनाम नायकों को प्रतिष्ठा दिलाता है, जो पूरे मनोयोग से हर तरीके से समाज में योगदान देते हैं। यह पहल, ब्ा्रांड की नई पोजिशनिंग 'जगाइए अपने अंदर का ऑफिसर' के अनुरू प है और इस अंत:-दृष्टि से उद्भूत है कि हमारे उपभोक्ता सम्मान व प्रशंसा की कामना करते हैं तथा उस समाज में प्रतिष्ठा भी पाना चाहते हैं जिसमें वो रहते हैं। उनका मानना है कि केवल कर्म के द्वारा ही वो इसे हासिल कर सकते हैं। हमारा कत्तüव्य यह सुनिश्चत करना था कि हमने लक्षित उपभोक्ताओं की इन छिपी प्रेरणाओं व इच्छाओं को पूरा किया। 

हमारा ब्ा्रांड, विश्वसनीयता, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जैसे मूल्यों का प्रतीक है और यह उसे बताने का सही तरीका है।' चतुर्वेदी ने कहा कि, 'हम, ऎसी पहल के जरिए अपने जिम्मेवार कॉरपोरेट होने की भावना को प्रतिबिंबित करते हैं। यह परिकल्पना आम आदमी की उपलब्धियों को चिह्नित व सम्मानित करने का एक प्रयास है। ऑफिसर्स च्वाइस का मानना है कि यह इन गुमनाम नायकों का सम्मान है, जो हमारे समाज के अन्य लोगों को आम लोगों के व्यापक हित में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

ऑफिसर्स च्वाइस के विषय में
ऑफिसर्स च्वाइस पैकेज्ड डिं्रकिंग वॉटर देश का तेजी से बढ़ता हुआ सम्मानित ब्ा्रांड है। इसने विगत तीन वर्षो में 31 प्रतिशत से अघिक का सीएजीआर दर्ज कराया है। ऑफिसर्स च्वाइस, आज चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, असम, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश राज्यों में निर्विवाद रू प से बाजार में अग्रणी है।

न्यूज टुडे 
के विषय में
न्यूज टुडे जयपुर, 31 दिसम्बर 2005 को अस्तित्व में आया, जबकि इंदौर संस्करण 14 जून 2006 को लांच किया गया। मैसर्स राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड- राजस्थान के सबसे बड़े मीडिया घराने का उद्यम, न्यूज टुडे ने सांध्य दैनिक की सम्पूर्ण परिकल्पना से क्रांति पैदा कर बाजार पर जबर्दस्त पकड़ बनाई है।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

क्या शादियां तोड़ रहा है फेसबुक!?

क्या शादियां तोड़ रहा है फेसबुक!?

आजकल हर वो व्यक्ति जो इन्टरनेट को मनोरंजन का साधन समझाता है और उसे अपने जिंदगी का अभिन हिसा मन रखा हैं | है ये बात उन लोगो पे सटीक बताती है की 
क्या शादियां तोड़ रहा है फेसबुक!? इस २१सवि सदी में बहुत कुछ बदल चूका है आज इस युग में इन्टरनेट के बिना हर कम अधुरा समझा जाता है  पर शायद ही किसी ने सोचा होगा की इस का बुरा असर भी  पड़ सकता है |
यदि आपको लगता है कि सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक फ्रैंड्स और फैमिली के साथ संपर्क में रहने के लिए बेहद अच्छा जरिया है तो आप गलत हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि फेसबुक तलाक के मामलों को महामारी की तरह फैला रहा है।
सोशल नेटवर्किग साइट पर चल रही इश्कबाजी शादियां टूटने का प्रमुख कारण बन रहा है। इससे शादी टूटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। वकीलों ने दावा किया है कि पिछले एक साल में उनके पास तलाक के जितने मामले आए हैं, हर केस में फेसबुक की वेबसाइट शामिल है। यह बड़ी समस्या बनकर उभरा है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि उन्होंने बीते नौ महीनों में 30 मामले हैंडल किए हैं और सभी में फेसबुक का पेंच कहीं न कहीं शामिल है।

एक अन्य ऑनलाइन लॉ कंपनी ने कहा कि पिछले साल दाखिल की गई पांच में से एक डिवोर्स याचिका में फेसबुक का जिक्र था। हार्ट स्केल्स एंड हॉजस सॉलिसिटर फैमिली लॉ की हेड एम्मा पटेल ने कहा कि रिश्तों के टूटने में फेसबुक "वर्चुअल थर्ड पार्टी" के रूप में काम कर रहा है।

टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट में एम्मा के हवाले से कहा गया "शादियां टूटने के बढ़ते मामलों के लिए फेसबुक जिम्मेदार है। यह ध्यान देने की बात है कि मई से अभी तक दाखिल की गई अर्जियों में शादी टूटने के कारणों में फेसबुक का भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि अपने पार्टनर पर संदेह करने वाले पति-पत्नी इस साइट का इस्तेमाल जासूसी और फ्लर्टिग के सबूत ढूंढने के तौर पर करते हैं। यही सब चीजें ब्रेक-अप के मामलों को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकतर तलाक के मामले पार्टनर के फेसबुक वाल पर फ्लर्टी मैसेज या फिर आपत्तिजनक चैट देखने के बाद ही आते हैं।


नजरिया २ 
'फेसबुक' को सोशल नेटवर्किंग साइट कहा जाता है। लोगों को एक दूसरे से जोड़ने के कारण इस वेबसाइट की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। लेकिन 'अमेरिकन एकेडमी ऑफ मैट्रीमोनियल लॉयर्स' की ओर से हुए एक नए सर्वे में पाया गया है कि इन दिनों फेसबुक लोगों को तलाक लेने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सेलीब्रिटी भी इससे अछूते नहीं है। हाल ही में अभिनेत्री इवा लांगोरिया ने बास्केट बाल खिलाड़ी अपने पति टोनी पार्कर से तलाक ले लिया। इवा ने टोनी पर 'फेसबुक' पर एक महिला के साथ सम्पर्क रखने का आरोप लगाया था।


सर्वे में तलाक दिलाने वाले करीब 80 फीसदी वकीलों का कहना है कि लोगों ने अपने साथी से अलग होने के लिए सोशल मीडिया पर की गई उनकी बेवफाई को एक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। यहां तलाक के हर 5 मामलों में से एक मामला 'फेसबुक' से जुड़ा है।


इसमें ज्‍यादातर लोग ऐसे हैं जो फेसबुक के माध्‍यम से बिछुड़ी हुई प्रेमिका से मिल गए हैं। तलाक के सबसे ज्यादा मामले फेसबुक 66 प्रतिशत, माईस्पेस 15 प्रतिशत, ट्विटर 5 प्रतिशत और 14 प्रतिशत अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़े हैं।


वेबसाइट 'डाइवोर्स ऑनलाइन' के प्रबंध निदेशक मार्क कीनन का कहना है कि सोशल साइटों पर अनुचित और आपत्तिजनक बातचीत तलाक का मुख्‍य कारण है।

रविवार, 3 अप्रैल 2011

मनुहार




Pariwar Special article
उस रात मैं रेलवे प्लेटफॉर्म पर गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा था। गाड़ी एक घंटा लेट थी और समय गुजारने के लिए मैं एक बैंच पर बैठा था। मेरी तरह अनगिनत यात्री गाड़ी के आने का इंतजार कर रहे थे। मैंने ध्यान दिया, बहुत से लोग बैंचों पर बैठे थे। कुछ नीचे दरी-चादर बिछाकर लेटे, कुछेक बैठे थे। कुछ लोग अपने परिचितों, मित्रों के साथ खड़े बतिया रहे थे। कुछ इधर से उधर टहल रहे थे। कुछ लोग चाय-बिस्किट के ठेले के पास खड़े थे और अपनी ठंड दूर कर रहे थे।  दो कुली ठंड से सिकुड़े बैठे बीड़ी पी रहे थे।

मैंने घड़ी की ओर ध्यान दिया, साढ़े दस बज रहे थे। गाड़ी के लिए एक घंटे का समय गुजारना था। ठंडी हवाएं शरीर में तीर की तरह चुभने लगी थीं। मैंने बैग से ऊनी टोपा निकालकर पहन लिया। ठंड की चुभन कुछ कम हुई। लगा, ठंडी हवाओं के चल जाने से ठंडक बढ़ी है। लोगों पर इसका असर दिखाई दे रहा है। वैसे भी पूस-माघ की रातें अघिक ठंडी होती हैं। पर मुझे लगा इस साल कुछ अघिक ठंड है। रेलवे पटरी के उस पार नजर गई। देखा, धुएं की तरह घना कोहरा छाया है। उनके बीच जलते हुए विद्युत बल्ब अंगारों की तरह लगे। दूर एक अलाव से उठती आग की लौ दिखाई दी। ऎसा लगा, कुछ लोग अलाव जलाकर बैठे हैं। मैंने भी बैग में से ऊनी शॉल निकालकर कंधों पर डाल लिया। गाड़ी के लेट होने से घर पहुंचने में देर हो जाएगी, इस विचार से बेचैनी बढ़ गई।
सहसा घंटी सुनकर मेरा ध्यान अपने मोबाइल फोन की ओर गया।