मंगलवार, 3 मई 2011

जवान बीवी के साथ शानोशौकत से रह रहा था लादेन

दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियां चला रहे ओसामा बिन लादेन के बारे में समझा जाता था कि वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के दुर्गम पहाडी़ इलाकों में छिप कर अपनी कार्रवाईयों को अंजाम दे रहा है। लेकिन वह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के निकट एबटाबाद में पिछले कई सालों से जवान और खूबसूरत बीवी के साथ शाही शानोशौकत के साथ एक बडी़ हवेली में रह रहा था।

ओसामा जिस शानदार हवेली में रह रहा था वह तीन मंजिल की थी और उसकी सुरक्षा के कडे प्रबंध भी किए गए थे। पाकिस्तान के शासन तंत्र की नाक के ठीक नीचे बनी ओसामा की यह हवेली इस्लामाबाद से उत्तर में केवल साठ किलोमीटर की दूरी पर बनी थी। इस इलाके में पाकिस्तान के रसूखदार लोग रहते हैं इनमें से अधिकतर लोग सेना के रिटायर अफसर हैं।

ओसामा की यह हवेली अपने आसपास के मकानों से करीब आठ गुणी ज्यादा बडी़ है और कहीं ज्यादा बडे़ प्लाट पर बनी थी। वर्ष 2005 में जब इस शाही महलनुमा हवेली को बनाया गया था तो उस वक्त इसके आसपास कोई और मकान नहीं था लेकिन पिछले छह सालों में इसके आसपास कई और मकान बन गए। इसके चारों तरफ 12 से 18 फीट ऊंची दीवार खडी़ की गई थी और फिर उसके ऊपर तारों की बाड़ लगा दी गई थी।

इस हवेली में खिड़कियां बेहद कम थीं जिसका मकसद यह था कि वहां रहने वालों का बाहरी दुनिया से संपर्क कम से कम रहे और अडोस-पडोस वालों को यहां रहने वालों को बारे में भनक भी न लगे। इस इमारत में लादेन के अतिविश्वास पात्र लोग ही आ जा सकते थे।

दस लाख डॉलर मूल्य वाली और दो बडे़ दरवाजों की इस इमारत में सुरक्षा के इंतजाम इतने कडे़ थे कि वहां इकठ्ठा होने वाला कूडा़ तक बाहर नहीं जाता था और उसे हवेली के भीतर ही जला दिया जाता था। इसका मकसद यह था कि इमारत से एक सुई तक भी बाहर नहीं जाने दी जाए और किसी भी प्रकार का कोई सुबूत फिजां तक में न पहुंचे। इस इमारत में कोई फोन कनेक्शन या इंटरनेट कनेक्शन तक नहीं पाया गया।


जवाहिरी संभाल सकता है अलकायदा की कमान

जवाहिरी संभाल सकता है अलकायदा की कमान


आतंकवादी संगठन अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी हमले में मारे जाने के बाद अब अलकायदा के नंबर दो सरगना अयमान अल जवाहिरी के संगठन की कमान संभालने के कयास लगाए जा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन के मारे जाने की तो घोषणा कर दी है, लेकिन जवाहिरी की स्थिति को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। जवाहिरी और लादेन 2001 में अफगानिस्तान पर हुए अमेरिकी हमले के बाद वहां से ही छिपते फिर रहे थे।

लादेन की तरह जवाहिरी के भी पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमांत पहाडी़ इलाके में छिपे होने के कयास लगाए जाते रहे हैं। ये दोनों आखिरी बार वर्ष 2003 में 'अल जजीरा' टेलीवीजन चैनल द्वारा प्रसारित किए गए अलकायदा की एक वीडियो फुटेज में साथ-साथ दिखे थे।

पेशे से डॉक्टर जवाहिरी का जन्म मिस्र की राजधानी काहिरा के एक उच्च वर्गीय परिवार में 1951 में हुआ था। जवाहिरी ने 1974 में शल्य चिकित्सा में अपनी डिग्री पूरी की और उसके बाद इस्लामिक राजनीतिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया। यह संगठन अरब जगत के बहुत से देशों में सक्रिय है और लोकतांत्रिक तरीकों एवं अहिंसा में विश्वास रखता है।

लेकिन जवाहिरी अधिक दिनों तक नहीं टिका यहां संगठन के अहिंसक तौर तरीके उसे रास नहीं आए और वह मिस्र के 'इस्लामिक जेहाद' संगठन में भी सक्रिय हो गया। इसी संगठन के सदस्यों ने मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सदात की हत्या की थी और उस मामले में गिरफ्तार किए गए 301 लोगों में जवाहिरी का भी नाम था।

पाकिस्तान के पेशावर शहर में 80 के दशक में जवाहिरी की मुलाकात लादेन से उस वक्त हुई जब सोवियत सेना अफगानिस्तान में इस्लामी मुजाहिद्दीन लडा़कों के सफाए में जुटी हुई थी। जवाहिरी इसके बाद लादेन के विचारों से इतना प्रभावित हुआ कि दोनों इसके बाद दुनिया पर इस्लामी राज कायम करने के मकसद से साथ हो गए।

जवाहिरी समय-समय पर अलकायदा की तरफ से वीडियो टेप जारी करता रहता है। इन वीडियो संदेशों में अक्सर उसके निशाने पर अमेरिका रहा है और उसने अमेरिका समेत सभी पश्चिमी मुल्कों में हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादियों की इन संदेशों में तारीफों के पुल बांधे हैं।

ओबामा के अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाने के बाद जवाहिरी ने 2008 में एक टेप जारी करके ओबामा को 'गोरे आकाओं का पिट्ठू'-'हाउस नीग्रो' कहा था इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर उन अश्वेत अमेरिकी गुलामों के लिए किया जाता था जो गोरों के प्रति वफादार होते थे। इसके एक वर्ष बाद 2009 में जारी एक अन्य टेप में जवाहिरी ने कहा था कि ओबामा और जार्ज डब्ल्यू बुश में कोई खास अंतर नही है।