विभाजन के बाद से ही देश जिन समस्याओं से सर्वाधिक पीड़ित है , कश्मीर उनमें सर्वोपरि है | कश्मीर की समस्या का हल स्वतंत्रता के ६२ वर्षों के बाद भी ना होना हमारी रीढ़विहीन राजनीती को ही दर्शाता है | कश्मीर की समस्या पर राजनीती पिछले छः दशकों से चली आ रही है लेकिन वैश्विक आतंकवाद के इस नए दौर में इसके मायने बदल गए हैं | इस नए दौर में कश्मीर ने भारतीय मुसलमानों की एक कट्टर पीढ़ी को आतंकवादी कृत्यों को न्यायोचित ठहराने में बड़ी मदद की है | आज के कथित सेकुलर विश्लेषक इस बात का दावा बड़े जोर शोर से करते रहे हैं कि भारतीय मुसलमानों का वैश्विक आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं रहा है बल्कि अब जो आतंकी कार्यवाहियों में लिप्त पाए जाते हैं उनका उभार अयोध्या और गुजरात दंगों जैसी कार्यवाहियों की प्रतिक्रिया मात्र है | वास्तविकता के धरातल पर ऐसे लोग जेहादी कृत्यों को सिर्फ इसलिए जायज़ ठहराने की मांग करते हैं कि भारतीय मुसलमानों का एक कट्टरपंथी तबका न सिर्फ इनके प्रति सहानुभूति रखता है बल्कि मामला वोट बैंक से भी जुड़ा हुआ है | यहाँपर यह कहना मुनासिब होगा कि बहुसंख्यक मुसलमानों के वोट बैंक को कट्टरपंथी तबका ही प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से नियंत्रित करता रहा है |
ऐसे परिप्रेक्ष्य में कश्मीर की समस्या का वैश्विक आतंकवाद से क्या लेना देना रहा है ये जानने के लिए हमें दोबारा , इतिहास को समझने की कोशिश करनी पड़ेगी | 1980 के दशक के अंतिम वर्षों में जब कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद ने पैर पसारना शुरू किया तब से लेकर आजतक यह ७०००० हजार मासूमों की हत्या कर चुका है लेकिन छोटे - छोटे फर्जी मुठभेडों के मुद्दे पर मानवाधिकार के आंसू बहाने वाले मुस्लिम संगठनों ने आज तक इसकी निंदा में ना तो कोई कोई प्रस्ताव ही रखा है और ना ही बात बात पर फतवा जारी करने वाले इस पर कोई कारगर पहल ही कर सके हैं |
ऐसे परिप्रेक्ष्य में कश्मीर की समस्या का वैश्विक आतंकवाद से क्या लेना देना रहा है ये जानने के लिए हमें दोबारा , इतिहास को समझने की कोशिश करनी पड़ेगी | 1980 के दशक के अंतिम वर्षों में जब कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद ने पैर पसारना शुरू किया तब से लेकर आजतक यह ७०००० हजार मासूमों की हत्या कर चुका है लेकिन छोटे - छोटे फर्जी मुठभेडों के मुद्दे पर मानवाधिकार के आंसू बहाने वाले मुस्लिम संगठनों ने आज तक इसकी निंदा में ना तो कोई कोई प्रस्ताव ही रखा है और ना ही बात बात पर फतवा जारी करने वाले इस पर कोई कारगर पहल ही कर सके हैं |
बदले परिप्रेक्ष्य में भारतीय मुसलमानों की एक बड़ी संख्या कश्मीर को हिन्दू - मुस्लिम समस्या के रूप में देखने से इनकार कर रही है | अब कश्मीर के संघर्ष को एक नया नाम दिया जा रहा है जिसमें कश्मीर की जंग को भारतीय मुसलमानों की नज़र में शोषण और अन्याय के खिलाफ युद्घ की संज्ञा देने का निरर्थक और दण्डनीय प्रयास किया जा रहा है | इस काम में डॉ जाकिर नाइक जैसे अरब देशों के पैसों पर पलने वाले कुप्रचारियों से प्रभावित होकर आजकल पढ़ेलिखे मुस्लिम युवा तेजी से लिप्त हो रहे हैं | जेहाद का यह नवीनतम रूप बेहद खतरनाक है | |
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