20वीं सदी के दो महापुरूषों के मिलन की ऎतिहासिक घटना को स्विटजरलैंड निवासी दिसम्बर महीने में बड़े धूमधाम के साथ मना रहे हैं। यह वर्ष स्विटजरलैंड के एक छोटे से कस्बे के लिए गौरव का वर्ष है, जब 6 दिसम्बर 1931 को नाबेल विजेता महान साहित्यकार रोम्यां रोला और महात्मा गांधी की मुलाकात हुई थी। यहां उल्लेखनीय है कि रोमां रोलां महात्मा गांधी के सत्य ओर अहिंसा के दर्शन से इतने प्रभावित थे कि बिना उनसे मिले ही उनके बारे में एक किताब "महात्मा गांधी" लिख डाली थी जिसका प्रकाशन 1924 में हो गया था।
जब रोमां रोलां को इस बात का पता चला कि महात्मा गांधी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेन आ रहे हैं तो उन्होंने गांधी जी से मिलने की आतुरता जाहिर की । गांधी जी भी इतने प्रभावित थे कि उन्होंने उनसे मिलने का फैसला कर लिया। लेकिन जिस दिन गांधी जी उनके छोटे से कस्बेे के स्टेशन पर उतरे तो रोमां रोलां उनसे मिलने नहीं आए। एक क्षण को गांधी जी को आश्चर्य हुआ लेकिन बाद में पता चला कि रोमां रोला दमे के मरीज हेाने और भयंकर बारिश हो जाने के कारण, वे उन्हे स्टेशन पर मिलने नहीं आए। लेकिन इसके बाद वे 6 दिसम्बर से लेकर 11 दिसम्बर तक उनके अतिथि बन कर रहे।
जब तक गांधी जी उनके घर पर रहे उन दोनों के बीच विश्व की राजनीति से लेकर ईश्वर, सत्य और अहिंसा जैसे दार्शüनिक विषयों पर मात्र पांच दिनों में 15 घंटे की बातचीत हुईं रोम्या रोलां को गीता का श्लोक का पाठ सुनना अच्छा लगता था। रोला को संस्कृत के मंत्र के उच्चारण का संगीत तथा राम और शिव को लेकर उसकी व्याख्या अच्छी लगती थी। शॅाल लपेटे गांधी और लांग कोट में लदफदे रोला की तस्वीरो को वहां के तमाम अखबारों में इन दिनों ढ़ूंढ़ा जा रहा है।
रोमां रेालां की छोेटी बहन मेडेलिन रोलां ने, जो स्वयं एक लेखिका थी, लिखा था कि "जब तक गांधी जी रहे तब तक उनके कमरे की खिड़की के सामने एक युवा संगीतकार सांझ ढलते ही वायलिन बजाना शुरू कर देता। इसके साथ ही बायलिन बजाते हुए बच्चों की एक भीड़ जमा कर लेता। एक जापानी कलाकार गांधी जी से जुड़ी सभी घटनाओं के स्कैच बनाता रहता।
और गांधी जी स्वयं स्थानीय समाचार पत्र के संवाददाताओं से घिरे रहते।" गांधी जी की विदाई को लेकर स्वयं रोमंा रोलां ने पियानो बजा कर गांधी जी को सुनाया था। आश्चर्य की बात यह है कि आठ दशको के बाद भी वाउद कस्वे के निवासी इस ऎतिहासिक मिलन की याद करते हुए जश्न की तैयारियां अभी से करने लगे हैं। इस जश्न को 6 दिसम्बर से लगभग सप्ताह भर तक वहां के लोग मनाते रहेंगे।
11 टिप्पणियां:
वाह! बहुत ही सुन्दर जानकारी दी है आपने.
पढकर अच्छा लगा.
गांधी जी और रोमां रोला जी की मुलाकात के
बारे में पहली बार पढा.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
अच्छा लगा आपका आलेख .....
bahut achchhi jaankari ...thanks
धन्यवाद. वाह मुझे इसकी जानकारी नहीं थी.
बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी ||
प्रस्तुति के लिए आभार ||
dinesh ji aap ki RAJBHASHA par tippani ne mujhe aap tak pahuchne ka marg de diya. aapne mere lekh par itni acchhi tippani di iske liye bahut aabhari hun. prasannta hui jankar ki aapko yeh lekh/blog bahut pasand aaya. me vaha har thursday post dalti hun. aaj se pahle maine vaha mahadevi ji ki jiwani par lekh post kiye the aur aaj hi ek nayi kadi shuru ki hai jo aap jaan hi gaye hain. Anamika ki sadaye se mera apna alag blog bhi hai jis par me sw-rachit kavitayen aur abhivyaktiyan blog par hamare jana-mane lekhkon ki kavitayen post karti hun.
aaj apke blog par pahli bar aana hua. apka ye lekh padh kar switzerland ke mahotsav k bare me jankari mili...jise padh kar garv se sir uncha uth gaya.
bahut acchhi jankari di aapne. aabhar apka.
पढ़कर अच्छा लगा।
बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी .
अच्छा लगा .
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई| धन्यवाद|
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