मंगलवार, 10 जनवरी 2012

अनोखी बेटी

अनोखी बेटी 
Disha Verma
दिशा  वर्मा
आज मैं आप सबको एक ऐसी बेटी के त्याग और अपने माता पिता के लिए कुछ भी करने का जज्बा रखने वाली बहुत बहादुर और बेमिसाल बिटिया की सच्ची कहानी बताने आई हूँ /आप पदिये और अपनी राय जरुर दीजिये की आज भी जब हमारे देश में कन्याओं को गर्भ में ही मारने की घटनाओं  में दिन पर दिन बढोतरी हो रही है और लड़कियों को बोझ समझा जाता है /वहां ऐसी बेटी ने एक मिसाल कायम की है /


ये प्यारी सी बेटी दिशा वर्मा  हमारे बहुत ही करीबी और अजीज पारिवारिक दोस्त श्री मनोज वर्मा और श्रीमती माधुरी वर्मा की है /इनकी दो बेटियाँ हैं /श्री मनोजजी की तबियत बहुत ख़राब थी ,उनका लीवर ७५% ख़राब हो गया था /उनको लीवर ट्रांसप्लांट की जरुरत थी .उनकी हालत इतनी ख़राब थी की वो कोमा में जा रहे थे /मेरी दोस्त माधुरी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो किससे बोले की कोई उसके पति को अपना लीवर दे दे /क्योंकि उसका ब्लूड ग्रुप  तो लीवर देने के लिए मैच ही नहीं कर रहा था / ऐसी हालत में मैं उनकी बहन श्रीमती नीलू श्रीवास्तव जी को भी नमन करना चाहूंगी जो अपने भाई की खातिर आगे आईं और उसका जीवन बचाने के लिए अपना जीवन जोखिम में डालकर लीवर देने के लिए तैयार हो गईं /फिर उनके सारे मेडिकल टेस्ट हुए परन्तु दुर्भाग्यबस वह मैच नहीं हो पाए जिस कारण वो अपना लीवर नहीं दे पायीं /फिर सवाल उठ पडा की अब क्या होगा सारा परिवार चिंता में डूब गया की  अब श्री मनोज जी का क्या होगा/ ऐसे समय में जब सारा परिवार दुःख के अन्धकार में  डूबा था ये बेटी दिशा जिसको अभी १८ वेर्ष की होने में भी कुछ समय था एक उजली किरण के रूप में आगे आई उसने कहा की मैं दूँगी अपने पापा को लीवर /उसने अकेले

 ही जा कर डॉ. से बात चीत की /डॉ. उसके जज्बात और हिम्मत देखकर हैरान रह गए फिर उन्होंने उसे समझाया भी की बहुत बड़ा operation होगा जो १६ घंटे चलेगा और operation के बाद जो काफी risky भी है और तुम्हारे पेट को काटने से उस पर एक हमेशा के लिए बड़ा सा निशान भी बन जाएगा /उसे तरह तरह से समझाया की उस की जान भी जोखिम में पड़ सकती है परन्तु वो बहादुर बेटी बिलकुल नहीं घबराई ना डरी और अपने पापा के लिए उसने ना अपनी जान की और ना इतने बड़े operation की परवाह की और  वो अपने 
निर्णय पर अडिग रही /फिर उसने इंटर-नेट  और अपने चाचा जो एक डॉ.हैं से लीवर ट्रांसप्लांट के बारे में सब कुछ समझ लिया और अपने को इस operation के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैय्यार कर लिया और बड़ी हिम्मत से  इतने बड़े operation का सामना किया /भगवान् भी उस बेटी की त्याग की भावना और हिम्मत के सामने हार गए  और operation  सफल हुआ और उसके पिता को दूसरा जीवन मिला /भगवान् ऐसी बेटी हर घर में दे जिसने अपने पिता के लिए इतना बड़ा त्याग किया जो शायद  दस बेटे मिलकर भी नहीं कर सकते थे /और वो हमारे देश की सबसे कम उम्र की लीवर डोनर भी बन गई /   यह हम सबके जीवन की अविस्मरनीय घटना है जिसको याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं /आज वो बेटी इंजिनियर बन गई है और Infosys जैसी multi-national कंपनी में काम कर रही है /उसके पापा बिलकुल ठीक हैं और एक सामान्य जीवन जी रहे हैं /


 ऐसी प्यारी बेटी को में नमन करती हूँ और आप सभी का भी उसकी आने वाली जिंदगी के लिए आशीर्वाद चाहती हूँ /और यह कहना चाहती हूँ की बेटे की चाह में बेटी को गर्भ में मत मारो क्योंकि दिशा जैसी  बेटियां अपने माता पिता के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करतीं /उनमे से कौन   सी बेटी दिशा बन जाए क्या पता /उसके बाद  उसे अपने पापा की हालत से प्रेरणा मिली और दूसरों की परिस्थिति समझने का जज्बा मिला जिसके कारण उसने eye donation  कैंप में जा कर अपनी आंखें दान करने का फार्म भरा /दिशा को तथा उसके माता पिता को भगवान् हमेशा खुश ,स्वस्थ एवं सुखी रखे बस यही कामना है / 

ऐसी करोड़ों में एक अनोखी बेटी को ,मेरा शत शत नमन आशीर्वाद /










दिशा अपने  मम्मी  पापा (श्री मनोज  वर्मा)और बहन के साथ   
operation के एक साल बाद 
happy family

11 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बेहद शानदार आपका आभार.
मनोज जैसवाल

LOVER NEVER DIES....... ने कहा…

bahut hu accha
bus isi tarh lage rahiye

Monika Jain ने कहा…

bahut hi mahan karya..naman hai asi beti ko...aur dhikkar hai unpe jo janam lene se pahle apni beti ko maar dalte hai...bahut achchi prastuti...
मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

virendra sharma ने कहा…

बेशक ज़िन्दगी हौसले और ज़ज्बात से जी जाती है लेकिन तर्क बुद्धि यह भी कहती है एक वयो -वृद्ध का जीवन बचाने के लिए एक युवा का जीवन यहाँ दांव पर लगा था .जो हो नत मस्तक हैं इस ज़ज्बे के आगे हम सभी और अंग दान की प्रेरणा बने पापा भी बधाई के पात्र है जिनके घर में इतनी प्यारी बेटी आई .उनके लिए एक और जीवन की सौगात लाई.

vikram7 ने कहा…

ऐसी बेटी को ,मेरा भी नमन व बहुत बहुत आशीर्वाद.प्रेरणादाई प्रस्तुति .


vikram7: महाशून्य से व्याह रचायें......

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका यह पोस्ट अच्छा लगा । । मेरे नए पोस्ट "हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

Sunil Kumar ने कहा…

ऐसी बेटी को नमन ........

रश्मि प्रभा... ने कहा…

jiyo ...

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।

बेनामी ने कहा…

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Ramakant Singh ने कहा…

I WOULD LIKE TO MEET SUCH A BRAVE GIRL
AND WITHOUT ANY REGREAT TOUCH HER FEET TO SAY YOU ARE THE REAL CHILD
SENT BY THE ALLMIGHTY GOD.

MEMORABLE MOMENT.