झुकी नहीं वह तनी हुई है.
किस मिटटी की बनी हुई है.
अपने हक़ को पहचाना है.
देश स्वतंत्र है, यह जाना है.
आजादी बच जाये अपनी,
लोकतंत्र ना हो बर्बाद.
इरोम शर्मिला जिंदाबाद
पुलिस के सीमित हो अधिकार.
करती हरदम अत्याचार.
जहां कहीं यह मंज़र है,
लोग कर रहे हाहाकार.
इसीलिए इक औरत निकली,
लोकतंत्र करने आबाद.
इरोम शर्मिला जिंदाबाद .
बंदूको का राज ख़त्म हो.
अभी ख़त्म हो, आज ख़त्म हो.
शत्रु नहीं, तुम मित्र बनाओ,
वर्दी का कुछ फ़र्ज़ निभाओ.
करे देश की जनता अपनी-
सरकारों से यह फरियाद.
इरोम शर्मिला जिंदाबाद..
कैसा है यह अपना देश?
दुखी में डूबा है परिवेश.
मणिपुर में वर्दी का राज.
वहा कोढ़ में दिखता खाज. (यानी पुलिस का विशेषाधिकार)
रोजाना दहशत में रहती,
सीधीसादी आदमजात.
अत्याचारी मुर्दाबाद .
इरोम शर्मिला जिंदाबाद
जागे-जागे पूरा देश.
यही शर्मिला का सन्देश.
लोकतंत्र को याद रखो,
मधुर यहाँ संवाद रखो.
जन-गण-मन खुशहाल रहे,
प्रेम-अहिंसा हो आबाद.
अत्याचारी मुर्दाबाद .
इरोम शर्मिला जिंदाबाद ....
1 टिप्पणी:
Wow… This is great! I can say that this is the first time I visited the site and I found out that this blog is interesting to read. Thanks for this awesome monitor.
एक टिप्पणी भेजें