गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

मेरी बिटिया

उसके होने से ही
पावन है घर-आँगन,
उसकी चंचल चितवन
मोह लेती हम सबका मन,

वो रूठती
तो रुक जाते हैं
घर के काम सभी,
वो हँसती

तो झर उठते हैं
हरसिंगार के फूल,
महक उठता है
घर का कोना-कोना,
जाने कैसे हैं वे लोग
जो बेटियों को
जन्मने ही नहीं देते
हम तो सह नहीं सकते
अपनी बेटी का
एक पल भी घर में न होना .

2 टिप्‍पणियां:

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

betiyan aisi hi hoti hai.

बेनामी ने कहा…

It's obviously what I am looking for , very great information , cheer!