बुधवार, 21 मार्च 2012

मेरी धड़कन


मेरी धड़कन, मॉं

लौट रही थी खाली घड़ा लेकर
मैं पलट रहा था थी भूगोल के पृष्ट... और
खोज था
देश के मानचित्र पर
नदियों का बहाव
मॉं
सामना कर रही थी भूखमरी से
वे चखना चाहते
अनाज के बदले उसकी देह
मैं उसकी कोख में
तलाश रहा था भट्टी
हथियार बनाने के लिए
मॉं
जर्जर कमरे में , हाथ की फटी साड़ी में
ढ़ॉंप रही थी देह और दुविधा
मैं उसकी कोख में
बुन रही थी वस्त्र आकार के क्षेत्रफल-सा
मॉं
दंगे में भीड़ से घिरी चीख रही है
संभाल नहीं पा रही है अपने कटे हुए पेट को
एक अकेले हाथ से
दूसरा हाथ कटकर दूर जा गिरा है
मैं, गर्भस्थ शिशु
पेट से बाहर टुकड़े-टुकड़े बिखरा हूँ
मैं ठीक उसी समय हलाल हुआ
जब कोख में लिख रहा था धर्म का अर्थ ।
दिनेश पारीक

23 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मार्मिक ... ह्रदय विदारक दृश्य खींचा है आपने ..

Udan Tashtari ने कहा…

अति मार्मिक!!

vidya ने कहा…

दिल में कुछ दर्द सा हुआ...
मगर काबिले तारीफ लेखन.

कविता रावत ने कहा…

bahut maarmik prastuti...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
" सवाई सिंह "

बेनामी ने कहा…

मार्मिक!

Satish Saxena ने कहा…

उफ़...

(प्रकाशित होने की दिनांक ठीक कर लें भाई जी !)

Rajput ने कहा…

मनोज जी आपकी पोस्ट की तारीख २१-०३-२०१२ दिखा रहा है .
मार्मिक मगर बहुत सुन्दर

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत मार्मिक...अंतस को झकझोरती प्रस्तुति...

mridula pradhan ने कहा…

marmik.....

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

बहुत अच्छा लिखते हैं, गहन अनुभूति है.

बेनामी ने कहा…

very touchy

amrendra "amar" ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
amrendra "amar" ने कहा…

बहुत सुंदर भाव,बेहतरीन मर्मस्पर्शी सुन्दर रचना.....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति.... बहुत बहुत बधाई...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

अंतस को झकझोरती हुई बेहतरीन रचना...

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
शायद प्रथम बार आपके ब्लॉग में आया हूँ,बहुत सारी पोस्टें पढ़ी,अच्छी लगी....
शुभकामनाये....और आभार..................

virendra sharma ने कहा…

गरीबी ,असहायता ,शोषण और शोषण ,साम्प्रदायिकता के सूक्ष्म आयामों को समेटे है यह रचना अपने कलेवर में .बेहद विचलित करती है पाठाक को .

G.N.SHAW ने कहा…

Mother is great...and great ..

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुत ही दु:खद वास्तविकता!....उत्तम प्रस्तुति!

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत मार्मिक! नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

प्रेम सरोवर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति..बहुत-बहुत बधाई । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।